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सींथल बना पीटीआई वाला अनोखा गांव

https://www.patrika.com/jaipur-news सींथल बना पीटीआई वाला अनोखा गांव

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बीकानेर का छोटा सा गांव सींथल शारीरिक शिक्षक भर्ती परीक्षा को लेकर इन दिनों सुर्खियों में है। यहां के 23 युवा हाल ही पीटीआइ की परीक्षा में पास हुए हैं। जबकि गांव के 45 लोग पहले से ही प्रदेश के अलग-अलग सरकारी स्कूलों में शारीरिक शिक्षक के रूप में सेवा दे रहे हैं। यही वजह है कि ‘सींथल’ को आसपास के इलाके में ‘पीटीआइ वाला गांव’ के नाम से भी जाना जाता है।

बीकानेर का छोटा सा गांव सींथल, जहां के युवाओं ने पीटीआइ बनने का सपना देखा और अपनी मंजिल पाने में कामयाब भी रहे। गांव के लाड़लों की इस उपलब्धि के पीछे वहां के भामाशाहों का बड़ा योगदान रहा है। सींथल में खेलकूद का माहौल बनाने के लिए उन्होंने ना केवल गांव के युवाओं को प्रेरित किया, बल्कि अभ्यास के लिए स्टेडियम भी बनवाकर दिया। आर्थिक सहयोग से गांव के बीच बने चांद भैरव खेल मैदान पर रोजाना ‘सींथल के भविष्य’ को खेलकूद और शारीरिक अभ्यास करते देखा जा सकता है।

सींथल में खेल स्टेडियम बनाने के लिए गांव के ही भैरूंदान सिंह ढायच ने अपने खेत का कुछ हिस्सा दान में दिया था। ग्रामीण बताते हैं कि भैरूंदान चाहते थे कि गांव के खिलाड़ी देश-विदेश में गांव का नाम रोशन करें। गांव के युवाओं ने उनकी मंशा को पूरा करने की भरसक कोशिश भी की। यही वजह है कि यहां से सबसे ज्यादा युवा पीटीआइ बनकर निकले। भैरूंदान सिंह शिक्षा विभाग में जिला शिक्षा अधिकारी रहे थे। गांव में खेल मैदान बनाने के लिए जमीन देने पर ग्रामीणों ने आर्थिक मदद जुटाकर खेल मैदान की चारदीवारी और अन्य संसाधन मुहैया करवाया था।

करीब तीन साल पहले भैरूंदान सिहं की मृत्यु हो चुकी है। पुलिस विभाग में कार्यरत सींथल निवासी प्रकाशदान चारण बताते हैं कि गांव के खिलाड़ी राज्य और अन्तरराष्ट्रीय खेलों में भाग ले चुके हैं। अभी तक गांव के 45 युवा शारीरिक शिक्षक की नौकरी पा चुके हैं। वहीं सरकारी सेवाओं में मौका पाने वाले यहां युवाओं की संख्या अन्य गांवों के मुकाबले ज्यादा हैं। बहरहाल, सींथल के ग्रामीणों का प्रयास सराहनीय है। उन्होंने सरकारी संसाधनों के मिलने का इंतजार करने की बजाय खुद के प्रयासों से अपना भविष्य संजोया है। जो ‘ग्राम स्वराज’ और भाईचारे की अनूठी मिसाल है।