जोधपुर।
सरकारी कर्मचारियों के आरजीएचएस कार्ड का दुरुपयोग किस तरह हो रहा था इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि एक कार्ड से सालभर में जितनी दवाइयों का कोटा निर्धारित है उतनी दवाइयाें का बिल सिर्फ तीन माह में ही उठाया जा रहा था। घोटाला उजागर होने के बाद संदिग्ध 41 कार्ड को ब्लॉक करवा दिए गए हैं। उधर, बासनी थाना पुलिस ने दवाई दुकानदार का शनिवार को एक बार फिर रिमाण्ड लिया है। (RGHS Scam)
थानाधिकारी जितेन्द्रसिंह ने बताया कि प्रकरण में जांच की जा रही है। जालोरी गेट के अंदर झंवर मेडिकल एजेंसीज का संचालक जुगल झंवर पिछले नौ दिन से रिमाण्ड पर है। यह अवधि समाप्त होने पर जुगल झंवर को कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उसे दो दिन के लिए और रिमाण्ड पर भेजने के आदेश दिए गए। उसे नौ अक्टूबर को फिर कोर्ट में पेश किया जाएगा।
अब तक की जांच में सामने आया कि घोटाले से जुड़े लोगों ने आरजीएचएस कार्ड के मार्फत सरकारी खजाने को लगातार चपत लगा रहे थे। कई मरीज ऐसे हैं जिनके कार्ड से दवाइयों का सालभर का कोटा सिर्फ तीन माह में ही पूरा कर रहे थे। पुलिस जांच में बासनी के निजी अस्पताल से अपलोड होने वाली छह पर्चियों के आइपी एड्रेस पुलिस को मिले हैं। जिनकी जांच और पर्चियों की एफएसएल रिपोर्ट के बाद डॉक्टर की भूमिका स्पष्ट हो पाएगी।
कार्ड ब्लॉक होने से वास्तविक मरीज परेशान
सरकार ने घोटाले से जुड़े आरजीएचएस के 41 कार्ड ब्लॉक करवा दिए हैं। इनमें कई वास्तविकत मरीज भी हैं। जिन्हें कैंसर भी है और इलाज चल रहा है। कार्ड ब्लॉक होने से इन्हें दवाइयां मिलना बंद हो गया है। जिनसे इनकी परेशानी बढ़ गई है। कई ऐसे कार्ड धारक मरीज हैं जिन्हें कैंसर न होकर अन्य बीमारी है। उन्हें दवाइयां दी गईं थी, लेकिन मध्यस्थ के मार्फत परिजन ने कीमती दवाइयो के बिल उठा लिए थे। जिससे कार्ड का सालभर का कोटा पूरा हो गया।
मध्यस्थ फरार, पकड़े जाने पर होंगे कई खुलासे
उधर, डॉक्टर मरीज व दवाई दुकानदार के बीच की कड़ी यानि मध्यस्थ उमेश परिहार अभी तक गायब है। पुलिस ने उसे पकड़ने के लिए घर व अन्य जगहों पर छापे भी मारे, लेकिन वो पकड़ में नहीं आ पाया है। उसके पकड़े जाने के बाद घोटाले से जुड़े और खुलासे होने की संभावना है।