जोधपुर. साहित्य कुंभ-2023 तीसरे दिन भी दर्शकों की बाट जोहता रहा। ज्यादातर सत्रों में कुर्सियां खाली ही नजर आई। राजस्थान साहित्य उत्सव (साहित्य कुंभ-2023) के आयोजन के लिए राज्य सरकार ने दो करोड़ रुपए का बजट दिया। आयोजक, बुक सेलर्स, सुरक्षाकर्मी और सरकारी अधिकारी-कर्मचारियों को छोड़ दिया जाए तो इसमें तीन दिन में तीन हजार लोग भी नहीं आए। पहले दिन सत्रों में खाली पड़ी कुर्सियों से चिंतित आयोजकों ने दूसरे और तीसरे दिन इज्जत बचाने के लिए स्कूल-कॉलेजों से हर सत्र के लिए स्टूडेंट बुलाए गए। उनको बैठाए रखने के लिए टीचर की ड्यूटी लगानी पड़ी।
स्कूल-कॉलेज ड्रेस में पहुंचे विद्यार्थी
भीमराव अंबेडकर स्कूल मंडोर, जालोरी गेट बालिका स्कूल, सरकारी आइटीआइ, ऐश्वर्या कॉलेज तथा सुमेर कॉलेज के विद्यार्थी स्कूल-कॉलेज के ड्रेस में टीचर के साथ साहित्य उत्सव में लाइन से आए। टीचर के निर्देशन में ही विभिन्न सत्रों में बैठे और टीचर के कहने पर ही लाइन से उठकर चल दिए।
विशेषज्ञ बोले- हम किसे सुनाएं
विभिन्न सत्रों के दौरान खाली पड़े पांडाल को लेकर हर विशेषज्ञ के उद्बोधन में पीड़ा झलकी। हरिदेव जोशी पत्रकारिता एवं जनसंचार विवि के पूर्व कुलपति ओम थानवी ने भी पांडाल में कम उपस्थिति को लेकर कहा कि हम किसे सुना रहे हैं…सुनने वाले ही नहीं। हम आपस में ही चर्चा करते हैं। पं. जवाहरलाल नेहरू बाल साहित्य अकादमी के अध्यक्ष इकराम राजस्थानी ने अपने उद्बोधन में भी यही पीड़ा व्यक्त की। राजस्थानी कवि सम्मेलन का संचालक कैलाश मंडेला ने खाली पड़ी कुर्सियों को लेकर चुटकी ली कि यह खालिस्तान भर दो, नहीं तो यहां भी गहलोत जी कोई नया जिला बना देंगे।