कोटा. कोटा जिले के कोटड़ादीपसिंह गांव में रामनवमी जुलूस के दौरान हाईटेंशन लाइन की चपेट में आने से 3 युवकों की मौत के मामले में दूसरे दिन शुक्रवार को मोर्चरी के बाहर 4 घंटे तक ग्रामीण और हिन्दू संगठनों के कार्यकर्ता, पदाधिकारी परिजन के साथ जमा रहे। बाद में मृतकों के परिजन को एक-एक लाख की आर्थिक सहायता और परिजन के सदस्य को संविदा पर नौकरी देने के आश्वासन के बाद माने। मामले को लेकर स्टेट हाईवे पर जाम लगाकर ग्रामीणों ने प्रदर्शन भी किया। वहीं बडोद व कोटड़ादीपसिंह कस्बे शुक्रवार को बंद रहे।
गौरतलब है कि गुरुवार को शाम 5 बजे रामनवमी के उपलक्ष में प्रशासन से अनुमति लेकर कोटड़ादीपसिंह गांव में शोभायात्रा के दौरान बड़ोद के अखाड़ा कलाकार करतब दिखाते समय करंट की चपेट में आने से सात युवक झुलस गए। इनमें से तीन युवक महेंद्र यादव, ललित प्रजापति व अभिषेक नागर की मौत हो गई और 4 अन्य युवकों का कोटा चिकित्सालय में उपचार चल रहा है। शुक्रवार सुबह शवों का पोस्टमार्टम किया। लेकिन परिजन ने शव लेने से इनकार कर दिया।
चिकित्सालय की मोर्चरी के बाहर हिंदू संगठनों के कार्यकर्ता मृतकों के परिजनों को उचित आर्थिक सहायता, संविदा पर नौकरी और दोषी अधिकारियों पर सख्त कार्यवाही करने की मांग पर अड़ गए।
मामले की गम्भीरता को देख मृतकों के परिजन को सरकारी आर्थिक सहायता के अलावा एक-एक लाख रुपए की त्वरित सहायता, परिजन को नियमानुसार संविदा पर नौकरी देने का आश्वासन दिया। वही मामले की निष्पक्षता के साथ जांच करवाकर दोषी अधिकारियों पर भी कार्रवाई करने की बात कही। तब जाकर संगठन पदाधिकारी माने और शव लेकर बड़ोद रवाना हुए। बड़ोद में गमगीन माहौल में तीनों का दाह संस्कार हुआ। हादसे के बाद पीपल्दा विधायक रामनारायण मीणा के नहीं आने से ग्रामीणों में नाराजगी देखने को मिली।
एक मोहल्ले से उठी तीन अर्थियां
हादसे के शिकार तीनों मृतकों की अर्थियां एक साथ उठी। अंतिम यात्रा में भीड़ उमड़ पड़ी। गमगीन माहौल में प्रशासन की उपस्थिति में तीनों का अंतिम संस्कार किया।
बंद रहे बड़ोद व कोटड़ादीपसिंह
शुक्रवार को बड़ोद व कोटड़ादीपसिंह कस्बे बंद रहे। यहां पूरे दिन सन्नाटा पसरा रहा। घरों में हादसे के बाद चूल्हे नहीं जले और परिवारजन का भी रो-रोकर बुरा हाल था।