कोटा.कोटा के एक उद्यमी ने इटेबल (खाने योग्य) डिस्पोजल बनाया है, जिसे इस्तेमाल करने के बाद खाया भी जा सकेगा। अगर इस्तेमाल करने के बाद इसे फेंक भी दिया गया, तो ये मवेशी और चीटिंयों का भोजन बन जाएंगे। इसके अलावा यह चंद दिनों में मिट्टी में प्राकृतिक तरीके से समाहित भी हो जाते है।
एटेबल डिस्पोजल बनाने वाले नरेश वर्मा वर्ष 2018 तक स्टेट बैँक के कर्मचारी थी, लेकिन लगातार स्क्रीन पर काम करने से आंखों से दिखने में परेशानी शुरू हो गई। इस पर उन्होंने सेहत को महत्व देते हुए नौकरी से सेवानिवृति ले ली। इसके बाद रोजगार के साथ समाज, पर्यावरण और कोटा के लिए कुछ करने का जज्बा भी मन में था।ऐसे में काफी सोच-विचार के बाद उन्होंने इटेबल डिस्पोजल बनाने का निर्णय लिया। लेकिन अभी तक उन्होंने केवल इसके बारे में सुना भर था। ऐसे में इस निर्णय के साथ ही कई चुनौतियां भी सामने आई। इस पर इटेबल डिस्पोजल को बनाना व गर्म तरल डालने पर इसे पिघलने से बचाने और इसके निर्माण के लिए मशीनरी की आवश्यकता अलग से चुनौती थी।
हैदराबाद से सीखा हुनर
इस पर तलाश करने पर उन्हें हैदराबाद में ऐसे इटेबल डिस्पोजल बनाए जाने की जानकारी मिली और वे हैदराबाद पहुंच गए। वहां उन्होंने इसके लिए अपनी जरूरत के हिसाब से डिजाइन मशीनरी खरीदी और इसका प्रशिक्षण लिया और कोटा आकर अपना कारोबार शुरू कर दिया।
राज्य भर में भेज रहे डिस्पोजल
वर्मा ने बताया कि वह पूरे भारत में पेन इंडिया काम करते है। पूरे राजस्थान के अलावा देश भर से उन्हें अब ऑर्डर मिलने लगे है। राज्य के अलग-अलग जिलों में उन्हें खरीदार मिलने लगे है।
महंगा होने से सीमित ग्राहक
उन्होंने कहा कि अभी कोटा समेत राज्य में प्रकृति, पर्यावरण, स्वच्छता के लिए अभी जागरूकता कम हैै। उनका प्रोडक्ट खाने योग्य होने से महंगा बनता है। ऐसे में इसकी मांग कम है, लेकिन जागरूक लोग इसे खरीद रहे है।वर्मा ने बताया कि इटेबल डिस्पोजल को मैदा, चावल, रागी व कुछ मात्रा में शक्कर मिलाकर बनाया जाता है।
बीस मिनट तक नहीं पिघलता
इटेबल डिस्पोजल को इस तरह से बनाया गया है कि यह गर्म या ठंडे पेय से 20 मिनट तक नहीं पिघलता है। इसके अलावा यह बाहर से पकड़ने पर धातु के कप की तरह तेज गर्म या ठंडा नहीं होता है।