मंदसौर.
जिले के सुवासरा क्षेत्र में खेजडिय़ा में बागेश्वर धाम सरकार के पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की तीन दिवसीय कथा के अंतिम दिन सुनने के लिए लाखों लोग पहुंचे। एक घंटे तक भजन के बाद कथा शुरु हुई। उन्होंने आम लोगों से कहा कि जिदंगी प्रभाव में नहीं स्वभाव में जीयो। जो प्रभाव में जीया वो खत्म हो गया ओर जो स्वभाव में जीयो वह तर गया। राम व हनुमान के जीवन चरित्र को लेकर उदाहरण देते हुए कहा कि वह स्वभाव में जीए ओर रावण प्रभाव में जीयो अंतर आपके सामने है। धरती पर भगवान राम व हनुमान की लीलाओं का वर्णन करते हुए उससे सीख लेकर स्वभाव में सभी को जीने का आह्वान किया। उन्होंने आम लोगों से घरों के बाहर धर्म ध्वज लगाने और मस्तक पर तिलक लगाने के साथ सनातक संस्कृति व हिन्दू राष्ट्र के लिए सभी से जागृत होने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि मैं किसी परिधाम का उपहार नहीं कर रहा हूं लेकिन भारतीय संस्कृति की बात करते हुए कहा कि हम लोग संस्कार व संस्कृति से भरे हुए है। मां के आंचल में जो आंनद है वह दुनिया में अन्य कहा। माताओं का आभूषण ही लज्जा है। हनुमान चालीसा का पाठ पढऩे का आह्वान भी सभी से किया।
रोड शो के रुप में आम लोगों से मिलते हुए कथास्थल पहुंचे
ढाई लाख से अधिक भीड़ कथास्थल पर जमा रही। पांडाल खचाखस भरा रहा तो जितने लोग पांडाल में थे उतने ही बाहर व सडक़ो तक जमा रहे। इस बीच कथा स्थल पर पंडित शास्त्री पहुंचे तो आम लोगों से रोड शो के रुप में मिलते हुए पहुंचे। लोगों ने फूल बरसा कर उनका स्वागत किया तो उनकी झलक पाने को हर कोई आतुर दिखा। शाम ६.१५ बजे कथास्थल पर पहुंचे ओर शाम ६.३० बजे प्रवचन शुरु हुए। आधे घंटे तक भजनों का दौर चलता रहा। इसके बाद ७.१५ बजे बाद प्रवचनों का दौर शुरु हुआ। कथा के दौरान हनुमान चालीसा की चौपाईयों का अर्थ और महत्व भजनों के माध्यम से बताया।
कन्हैया मित्तल के भजनों ने बांधा समा
बीती रात को ख्यात भजन गायक कन्हैया मित्तल की भजन संध्या भी कथा पांडाल में हुई। बागेश्वर धाम के धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री व कैबिनेट मंत्री हरदीपसिंह डंग सहित हजारों की संख्या में मौजूद भक्तों की मौजूदगी में देरशाम को भजन संध्या का दौर शुरु हुआ जो रात तक जारी रहा। मित्तल के खाटुश्याम की भक्ति से ओत-प्रोत भजनों के साथ भक्त भी पांडाल में रात तक खूब झुमें। वहीं जयकारों के साथ मित्तल के भजनों ने समा बांधा।