नागौर. अठियासन स्थित कृषि विज्ञान केन्द्र में मंगलवार से बकरी पालन एवं भेड़ पालन पर सात दिवसीय प्रशिक्षण शिविर शुरू हुआ। कार्यक्रम में पहले दिन 35 पशु पालकों ने भाग लिया। शिविर का शुभारंभ करने के अवसर पर विज्ञान केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ. किशन बैरवा ने कहा कि विकास की धुरी में पशुपालन का बेहद महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। पशुपालन उन्नत है तो निश्चित रूप से कृषि अर्थव्यवस्था भी बेहतर होगी। पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. महेश कुमार मीणा ने कहा कि शिविर से प्राप्त ज्ञान को पशु पालक अमल करेंगे तो निश्चित रूप से विकास होगा। विज्ञान केन्द्र के पशुपालन विशेषज्ञ बुधाराम ने कहा कि पशु पालन में वैज्ञानिक तकनीकी निश्चित रूप से आगे बढऩे में न केवल सहायक सिद्ध होती है, बल्कि पालकों के साथ ही कृषि क्षेत्र में भी प्रमुख रूप से योगदान देने का कार्य करती है। पहले दिन पशुपालकों को पशुपालन विभाग के वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी डॉ. मूलाराम जांगू ने प्रशिक्षण दिया। डॉ. जांगू ने राष्ट्रीय पशुधन मिशन एवं पशुपालन में किसान क्रेडिट कार्ड योजना की जानकारी देते हुए राष्ट्रीय पशुधन मिशन की अवधारणा , असंगठित क्षेत्र को संगठित क्षेत्र से जोडऩे के लिए उद्यमी को विकसित करना है, नस्ल सुधार के माध्यम से प्रति पशु उत्पादकता में वर्दी करना है आदि पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि मांस , अंडा, बकरी का दूध , ऊन और चारे के उत्पादन में वृद्धि करना एवं रोजगार को सर्जित करना इस मिशन का उद्देश्य है। इसके साथ ही राष्ट्रीय पशुधन मिशन के तहत भेड़ बकरी पालन, चारा उत्पादन, सूअर पालन एवं मुर्गी पालन के लिए केंद्र सरकार की ओर से दी जाने वाली योजना की विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि इसमें 10 लाख रुपए से 50 लाख रुपए तक सब्सिडी पशुपालकों को प्रदान कराई जाती है। इसमें व्यक्तिगत किसान या उद्यमी, गैर सरकारी संगठन, कंपनियां ,सहकारी समितियां एवं स्वयं सहायता समूह आवेदन करने के लिए पात्रता रखते है। इस प्रशिक्षण के तहत डॉ जांगू ने भेड़ बकरी पालन उद्यमी विकास प्रोग्राम के संपूर्ण आवेदन की प्रक्रिया भी जानकारी दी।