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VIDEO…दस सालों के अंतराल में अवैध रूप से हुए पक्के निर्माणों ने निगला प्रतापसागर तालाब

नागौर. प्रतापसागर तालाब के कैचमेंट एरिया में अनाधिकृत रूप से पक्के निर्माणों की बाढ़ आ गई है। केवल 10 सालों के अंतराल में प्रावधानों को तोड़ हुए पक्के निर्माणों ने इस पूरे तालाब का नक्शा ही बदलकर रख दिया है। हालांकि पूर्व में यहां रहे तत्कालीन जिला कलक्टर समित शर्मा ने जरूर इस क्षेत्र में […]

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नागौर. प्रतापसागर तालाब के कैचमेंट एरिया में अनाधिकृत रूप से पक्के निर्माणों की बाढ़ आ गई है। केवल 10 सालों के अंतराल में प्रावधानों को तोड़ हुए पक्के निर्माणों ने इस पूरे तालाब का नक्शा ही बदलकर रख दिया है। हालांकि पूर्व में यहां रहे तत्कालीन जिला कलक्टर समित शर्मा ने जरूर इस क्षेत्र में 50 से ज्यादा पक्के निर्माणों को हटाकर इस पूरे एरिया को साफ कराया था, लेकिन उनके जाने के बाद हालात फिर से वही हो गए। विशेष बात यह रही कि यहां पर हो रहे पक्के अवैध निर्माणों की इसके बाद किसी प्रशासनिक अधिकारी ने जांच तक करने की जहमत नहीं उठाई। इसके चलते अब इसके आसपास के कैचमेंच एरिया सहित पूरे तालाब को अतिक्रमी निगलने में जुट गए हैं।
छोटा पोखर बना प्रतापसागर तालाब
प्रतापसागर तालाब को अतिक्रमियों की नजर लग चुकी है। गत दस वर्षों के दौरान अतिक्रमियों ने तालाब के लंबे-चौड़े एरिया के अधिकांश हिस्सों पर केवल कब्जा किया, बल्कि इसके पानी वाले एरिया को समतल कर वहां पर पक्के निर्माण भी करा लिए। हनुमान मंदिर, सोनीबाड़ी, सलेऊ रोड एवं प्रतापसागर कॉलोनी के रास्ते से जाने वाले हिस्सों पर हुए अवैध रूप से पक्के निर्माणों की वजह से अब यह तालाब छोटे पोखर के रूप में नजर आने लगा है।
अवैध निर्माणों ने रोकी बरसाती पानी की आवक
प्रतापसागर तालाब के कैचमेंट एरिया में हुए अवैध कब्जों के कारण बरसात के दौरान इसमें न तो पानी पर्याप्त मात्रा में पहुंच पाता है, और न ही पूरा तालाब भर पाता है। वर्तमान में तालाब के नाम पर भरा यह पानी सीवरेज का गंदा पानी है। बताते हैं कि पहले तो यह तालाब एक ही तेज बारिश में आधे से ज्यादा भर जाता था, लेकिन अब ऐसा नहीं रहा। अब तो कई बरसात के बाद भी यह पूरी तरह से भर नहीं पाता है।
प्रशासन ने 10 सालों में एक बार भी जांच ही नहीं कराई
राजस्व रिकार्ड के अनुसार प्रतापसागर तालाब का कुल एरिया 43 बीघा 11 बिस्वा है। इसमें प्रतापसागर तालाब का खसरा नंबर 36 है, और इसका रकबा 5.7321 हेक्टेयर एरिया है। इसी तरह से प्रतापसागर तालाब के खसरा नंबर 37 में इसका रकबा 1.3193 है। पिछले 10 सालों में एक बार भी प्रशासन की ओर से इसकी जांच नहीं कराई गई। जांच कराई जाए तो फिर खुद-ब-खुद सही वस्तुस्थिति सामने आ जाएगी। हालांकि सूत्रों के अनुसार अब इस रकबा एरिया में 80 प्रतिशत से ज्यादा भूभाग पर अतिक्रमियों का कब्जा हो चुका है।

सुप्रीम कोर्ट ने यह दिया था निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया था कि जोहड़-पोखर अपरिवर्तनीय हैं। इनकी भूमि का उपयोग अन्य काम में हो ही नहीं हो सकता। इस आदेश में कोर्ट ने साफ तौर पर जंगल, तालाब, पोखर, पठार तथा पहाड आदि को समाज के लिए बहुमूल्य मानते हुए इनके अनुरक्षण को पर्यावरणीय संतुलन के लिए जरूरी माना गया है। निर्देश है कि तालाबों को ध्यान देकर तालाब के रूप में ही बनाए रखना चाहिए। आदेश में यह भी कहा गया था कि तालाबों के समतलीकरण के परिणामस्वरूप किए गए आवासीय पट्टों को निरस्त किए जाए।
क्या कहते हैँ जिम्मेदार…
प्रतापसागर तालाब के कैचमेंट एरिया की जांच करा ली जाएगी। जांच में जो भी वस्तुस्थिति आएगी। इसके अनुसार प्रशासनिक कार्रवाई कर ली जाएगी।
हरदीप सिंह, तहसीलदार, नागौर