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नई दिल्ली

सरकार ने सर्वदलीय बैठक में विपक्ष के मुद्दों पर चर्चा का ऐलान किया

संसद का मानसून सत्र 21 जुलाई से शुरू होने वाला है और उससे पहले केंद्र सरकार ने सभी पार्टियों की बैठक बुलाई। इस बैठक में कई अहम मुद्दे उठाए गए, जिनमें "ऑपरेशन सिन्दूर", अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दावे, बिहार में वोटर लिस्ट संशोधन, और पहलगाम आतंकी हमले जैसे विषय शामिल थे। बैठक के बाद संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि सरकार "ऑपरेशन सिन्दूर" जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा के लिए तैयार है और संसद में नियमों के अनुसार जवाब देगी।

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संसद का मानसून सत्र 21 जुलाई से शुरू होने वाला है और उससे पहले केंद्र सरकार ने सभी पार्टियों की बैठक बुलाई। इस बैठक में कई अहम मुद्दे उठाए गए, जिनमें “ऑपरेशन सिन्दूर”, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दावे, बिहार में वोटर लिस्ट संशोधन, और पहलगाम आतंकी हमले जैसे विषय शामिल थे। बैठक के बाद संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि सरकार “ऑपरेशन सिन्दूर” जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा के लिए तैयार है और संसद में नियमों के अनुसार जवाब देगी। उन्होंने ये भी कहा कि संसद को सुचारू रूप से चलाने के लिए सरकार और विपक्ष में समन्वय ज़रूरी है।

वहीं, विपक्ष ने बैठक में तीखे सवाल उठाए। कांग्रेस के सांसद गौरव गोगोई ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संसद में बयान देना चाहिए — खासकर डोनाल्ड ट्रंप के उस दावे पर जिसमें उन्होंने कहा था कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच सीज़फायर में भूमिका निभाई थी। गोगोई ने पहलगाम हमले और बिहार में वोटर लिस्ट में की जा रही स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन यानी SIR को लेकर भी सवाल उठाए। CPI(M) के सांसद जॉन ब्रिटास ने भी पीएम से संसद में स्पष्टीकरण देने की मांग की। उनका कहना था कि ट्रंप के दावे और पहलगाम हमला – दोनों ही ऐसे मुद्दे हैं जिन्हें नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। आप पार्टी के नेता संजय सिंह ने बिहार में SIR को “चुनावी घोटाला” बताया और आरोप लगाया कि इससे आम नागरिकों के वोटिंग अधिकारों पर खतरा मंडरा रहा है। उन्होंने भी ट्रंप के दावे को संसद में गंभीरता से उठाने की बात कही। साथ ही उन्होंने साफ किया कि उनकी पार्टी राज्य चुनावों में अकेले लड़ेगी, लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव के मुद्दों के लिए INDIA गठबंधन पर फोकस बना रहेगा। समाजवादी पार्टी के रामगोपाल यादव ने भारत की विदेश नीति पर सवाल उठाते हुए कहा कि “ऑपरेशन सिन्दूर” के दौरान कोई भी बड़ा देश भारत के समर्थन में नहीं आया। उनके अनुसार ये सरकार की विदेश नीति की विफलता को दर्शाता है। वहीं ओडिशा से बीजेडी के सांसद सस्मित पात्रा ने घरेलू कानून-व्यवस्था पर बात की। उन्होंने ओडिशा में हाल में हुई घटनाओं का हवाला देते हुए कहा कि राज्य में कानून-व्यवस्था की हालत खराब है — एक छात्रा की आत्मदाह की घटना और एक नाबालिग लड़की को ज़िंदा जलाने का मामला इसका उदाहरण है। उनका कहना था कि केंद्र सरकार राज्यों की कानून-व्यवस्था से पल्ला नहीं झाड़ सकती और इस पर भी संसद में बहस होनी चाहिए।

यह बैठक राज्यसभा में नेता और केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा की अध्यक्षता में हुई। इसमें किरेन रिजिजू और अर्जुन राम मेघवाल ने सरकार का प्रतिनिधित्व किया। विपक्ष की ओर से कई प्रमुख नेता मौजूद थे — जिनमें कांग्रेस के जयराम रमेश, एनसीपी की सुप्रिया सुले, डीएमके के टी.आर. बालू और आरपीआई के रामदास अठावले शामिल थे।

विपक्ष ने साफ कर दिया है कि वह संसद में इन मुद्दों को प्रमुखता से उठाएगा — चाहे वो पहलगाम हमला हो, बिहार में वोटर अधिकारों को लेकर चिंता हो, या फिर डोनाल्ड ट्रंप के भारत-पाक के बीच कथित मध्यस्थता के दावे। अब सभी की नज़रें 21 जुलाई से शुरू हो रहे संसद सत्र पर हैं — जहां यह तय होगा कि सरकार इन गंभीर मुद्दों पर संसद के भीतर कैसे जवाब देती है।