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आंचल बोली, मेरा जादू चलता तो आतंकवाद का खात्मा कर खुशहाल भारत की नई इबारत लिखती

जादू एक कला और हाथ की सफाई है। अगर हकीकत में मेरा जादू चलता तो भारत-पाक रिश्तों को मजबूत कर आतंकवाद का खात्मा करती। भारत की खुशहाली के लिए नई इबारत लिखती। यह कहना है जादूगर आंचल का।

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भीलवाड़ा। जादू एक कला और हाथ की सफाई है। अगर हकीकत में मेरा जादू चलता तो भारत-पाक रिश्तों को मजबूत कर आतंकवाद का खात्मा करती। भारत की खुशहाली के लिए नई इबारत लिखती। वर्तमान दौर में इंसानियत खत्म हो रही है। रिश्तों में दरार आ रही और गुस्सा पनप रहा है। जरूरी है कि परिवारवाद की जड़ों को मजबूत करें। नई पीढ़ी को रिश्तों से जोड़ें। यह कहना है जादूगर आंचल का। आंचल सोमवार को मम्मी-पापा के साथ राजस्थान पत्रिका कार्यालय आई। यहां संपादकीय प्रभारी अनिल सिंह चौहान से समसायिकी विषयों के साथ ही जादू कला पर चर्चा की। इस दौरान संपादकीय साथी आकाश माथुर ने उनसे सवाल जवाब किए। संपादकीय साथी नरेन्द्र वर्मा, सुरेश जैन, अरविन्द हिरण भी मौजूद रहे।

वर्तमान हालात, बच्चों में मोबाइल की बढ़ती लत समेत विभिन्न मुद्दों पर बात की। बातचीत के अंश…..

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सवाल: भारत-पाक के बीच मौजूदा तनाव को कैसे देखती हैं?

जवाब: मेरा जादू चलता तो पलभर में आतंकवाद को खत्म कर देती। दोनों देशों के रिश्ते मजबूत करती और उनमें स्नेह और प्यार का संचार करती। पाकिस्तान आतंक को बढ़ावा दे रहा है, यह साफ हो गया है। आतंकियों ने पहलगाम में हमारी बहनों का सुहाग उजाड़ा। भारतीय सेना ने ऑपरेशन सिंदूर चलाकर उनको उजाड़ दिया। देश को हमारी सेना पर गर्व है

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सवाल: आतंकवाद का कहां अंत होगा?

जवाब:लोेगों में इंसानियत खत्म हो रही। गुस्सा और दुश्मनी हावी होती जा रही है। इसका बड़ा कारण एकलवाद है। परिवार टूट रहे हैं। नई पीढ़ी को संस्कारित बनाने की जरूरत है। इसके लिए जरूरी है कि लोग वापस संयुक्त परिवार में लौटें। आतंकवाद भी उन्हीं में से है। आतंकी बने युवा पथ भ्रमित होकर खूनी खेल खेल रहे हैं। भारत हमेशा आतंकवाद के खिलाफ रहा है। पाकिस्तान को भी यह समझना होगा।

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सवाल: मोबाइल ने बच्चों के दिल-दिमाग पर कितना असर डाला?

जवाब: बच्चे रियल लाइफ से दूर हो रहे हैं। मोबाइल की लत उनका बचपन छीन रही है। उनका मानसिक व शारीरिक विकास नहीं हो रहा। मोबाइल के कारण आउटडोर गेमों से दूरी बना रहे हैं। इसके लिए जरूरी है कि बच्चों को मोबाइल से दूर रखें। आज छोटे बच्चों के हाथों में मोबाइल देकर अभिभावक सुकून चाहते हैं। बच्चे उसमें खोए रहते हैं, लेकिन यह आदत बाद में परेशानी का सबब बनती है। यहीं बात बड़ों पर भी लागू होती है। वह भी मोबाइल देखने का समय निर्धारित करें। क्योंकि जो बड़े करते हैं, बच्चे भी उनका अनुसरण करते हैं।

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सवाल: सोशल मीडिया जागरूक कर रहा, पर्दे के पीछे का जादूगर टि्रक तक बता रहा। इससे कितना असर पड़ाहै?

जवाब: सोशल मीडिया भले ही जादू के टि्रक बता दे। लेकिन उसका प्रेजेंटेशन नहीं बता सकता। स्टेज पर आज भी जादूगर अपनी सम्मोहन कला से प्रभावित करता है। ऐसे में सोशल मीडिया का कुछ ज्यादा असर नहीं पड़ा है। एआई के जरिए जो भ्रम पैदा किया जा रहा है उसको लेकर भी सावधानी बरतने की जरूरत है।

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