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लोक संस्कृति की छोड़ी छाप, हक को भरी हुंकार

डूंगरपुर . परम्परागत वेशभूषा, हाथों में तीर कमान और सिर पर गोफण बांधे एक नहीं हजारों-हजार आदिवासी समुदायजन की मौजूदगी में जिला मुख्यालय पर स्पोट््र्स कॉम्पलेक्स परिसर में विश्व आदिवासी दिवस के जिला स्तरीय समारोह हुआ। आदिवासी परिवार के बैनर तले हुए कार्यक्रम में जन सैलाब उमड़ा। सुबह दस बजे से शुरू हुआ कार्यक्रम शाम […]

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डूंगरपुर . परम्परागत वेशभूषा, हाथों में तीर कमान और सिर पर गोफण बांधे एक नहीं हजारों-हजार आदिवासी समुदायजन की मौजूदगी में जिला मुख्यालय पर स्पोट््र्स कॉम्पलेक्स परिसर में विश्व आदिवासी दिवस के जिला स्तरीय समारोह हुआ। आदिवासी परिवार के बैनर तले हुए कार्यक्रम में जन सैलाब उमड़ा। सुबह दस बजे से शुरू हुआ कार्यक्रम शाम साढ़े छह बजे तक अनवरत चला। वक्ताओं ने शिक्षा, कुरीतियों के उन्मूलन, शराब बंदी और अपराध मुक्त समाज पर जोर दिया। खासकर युवाओं को संस्कृति और संस्कारों से दूर नहीं जाने का संकल्प दिलाया।
कार्यक्रम में डूंगरपुर-बांसवाड़ा सांसद राजकुमार रोत ने कहा कि मुख्यमंत्री ने आदिवासी दिवस की शुभकामनाएं ट््वीटर पर दी। लेकिन, न जाने क्या दबाव आया कि उन्होंने आधे घंटे बाद ही पोस्ट हटा दी। सरकार का नजरिया सामने आ रहा है। अच्छा होता कि आदिवासी दिवस के दिन मुख्यमंत्री शिड्यूल पांच की बात करते। सांसद रोत ने कहा कि देश में परियोजनाओं के नाम पर सर्वाधिक विस्थापित कोई समाज हुआ है, तो वह आदिवासी समाज हुआ है। पांच वर्ष के दरम्यान ही साढ़े चार लाख से अधिक आदिवासियों को टाइगर प्रोजेक्ट जैसी सैकड़ों परियोजनाओं के नाम पर विस्थापित किया है। रोत ने कहा कि आजादी की लड़ाई में सर्वाधिक योगदान आदिवासी समाज का रहा है। आजादी के बाद भी आजादी की लड़ाई यदि किसी समाज ने लड़ी, तो वह आदिवासी समाज ने लड़ी थी। मानगढ़धाम, रास्तापाल जैसी कई लड़ाई लड़ी। पर, देश के इतिहास में हमे इतना स्थान नहीं मिला। गोङ्क्षवदगुरु, संत सुरमाल दास, मावजी महाराज को भूला दिया गया। संचालन राजेश कोटेड एवं जीवराज डामोर ने किया।
शराब पर पाबंदी जरूरी
रोत ने कहा कि सरकार नारी शक्ति की बात कह रही है और महिलाओं के लिए अलग से शराब की दुकानें खोल रही है। हम तो लंबे समय से लड़ाई लड़ रहे है कि अंग्रेजी शराब की दुकानें बंद हो। घर पर मेहमान आते हैं या बुजूर्ग देसी दारु बना कर घर रखते है, तो पुलिस केस कर देती है। जबकि, खुद प्रशासन रात 10-12 बजे तक दारु की दुकानें खुलवा रही है। 60 रुपए का काम 800 और हजार रुपए में हो रहा है।
‘पत्थरबाजों से कोई सरोकार नहीं, सख्त कार्रवाई करें’
कार्यक्रम में हर वक्ता ने एक बात प्रमुखता से उठाई कि पत्थरबाजों से कोई सरोकार नहीं है। गांव के पंच, सरपंच और गांव के मुखिया अपने-अपने गांव की दस-दस की टीम बनाए और वह रात्रि में गश्त करें। पुलिस-प्रशासन को भी चाहिए कि वह पत्थरबाजों को शांतिभंग की धारा में गिरफ्तार नहीं कर जानलेवा हमले में पकड़े और सख्त से सख्त कार्रवाई करें। वहीं, माता-पिता बच्चों की गतिविधियों पर पूरी निगरानी रखे।