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1200 क्यूसेक पानी भाखड़ा में चलने की मांग को लेकर किसानों की महापंचायत

1200 क्यूसेक पानी भाखड़ा में चलने की मांग को लेकर किसानों की महापंचायत – जिला कलेक्ट्रेट के समक्ष जुटे हजारों किसान – सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम, छावनी बनी कलेक्ट्रेट -बैरिकेड लगाकर कलैक्ट्रेट के तमाम रास्ते बंद -शांतिपूर्ण चल रही किसानों की महापंचायत -एक के बाद एक किसान महापंचायत को संबोधित कर रहे हनुमानगढ़। भाखड़ा नहर […]

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1200 क्यूसेक पानी भाखड़ा में चलने की मांग को लेकर किसानों की महापंचायत – जिला कलेक्ट्रेट के समक्ष जुटे हजारों किसान

– सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम, छावनी बनी कलेक्ट्रेट -बैरिकेड लगाकर कलैक्ट्रेट के तमाम रास्ते बंद

-शांतिपूर्ण चल रही किसानों की महापंचायत

-एक के बाद एक किसान महापंचायत को संबोधित कर रहे

हनुमानगढ़। भाखड़ा नहर में पानी कम करने से आक्रोशित किसानों ने हनुमानगढ़ जिला कलेक्ट्रेट के समक्ष चल रहे बेमियादी पड़ाव पर सोमवार को महापंचायत बुलाई गई। महापंचायत के लिए सुबह से ही किसानों के जत्थे पहुंचना शुरू हो गए। दोपहर 1:00 बजे तक हजारों की संख्या में किसान कलेक्ट्रेट के समक्ष एकत्रित हो गए। संख्या का अंदाज इससे लगाया जा सकता है कि जिला कलेक्ट्रेट के दो नंबर गेट से परशुराम चौक तक पूरी सड़क पर किसान ही किसान बैठे नजर आए। किसानों की महापंचायत शांतिपूर्ण चल रही है। एक के बाद एक किसान सभा को संबोधित करने के लिए मंच पर आ रहे हैं। महा पंचायत की खास बात यह है कि इसमें किसी भी संगठन अथवा दल का बैनर नहीं है। भाखड़ा नहर क्षेत्र के किसान स्वत: स्फूर्त महापंचायत में एकत्रित हुए हैं। किसान भाखड़ा नहर में पानी कम करने को लेकर आक्रोशित है और 1200 क्यूसेक पानी चलाने की मांग कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि बीते सप्ताह सिंचाई विभाग ने भाखड़ा नहर में 850 क्यूसेक पानी कर दिया था।

इस वक्त जिले में करीब छह लाख हैक्टेयर में रबी फसलें लगी हुई है। इसमें भाखड़ा क्षेत्र के किसान भी शामिल हैं। ऐसे में सिंचाई पानी की मांग कर रहे किसानों को सरकार स्तर पर कितनी तवज्जो मिलती है, इस बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता है। गुस्से में आए किसान आगे आंदोलन का कौन सा रास्ता बनाएंगे, इसकी स्थिति भी सोमवार को ही स्पष्ट हो सकेगी। जल संसाधन विभाग के अधीक्षण अभियंता रामकिशन ने बताया कि भाखड़ा रेगुलेशन समिति, जिसमें क्षेत्र के सभी विधायक, परियोजना अध्यक्ष, वितरण समिति अध्यक्ष और किसान संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हैं।

सभी ने मिलकर 1 अक्टूबर और 25 नवंबर 2024 को हुई बैठकों में रबी फसल के लिए 7 जनवरी तक 1200 क्यूसेक पानी चलाकर दो में से एक समूह में (कुल 7 बारी) सिंचाई का प्रस्ताव पारित किया था। 4 मार्च, 2025 तक 850 क्यूसेक पानी चलाकर तीन में से एक समूह में (कुल 2 बारी) सिंचाई एवं 4 मार्च से 20 मई तक पेयजल की आवश्यकता के लिए पानी चलाने पर प्रस्ताव पारित किया गया। इसी अनुसार पानी उपलब्ध करवाया जा रहा है। यह निर्णय इस अनुमान के आधार पर लिया गया है कि ड्राई सीजन में पानी की आवक औसत से 16 फीसदी अधिक होगी। राज्य सरकार और विभाग बीबीएमबी से अतिरिक्त पानी उपलब्ध कराने के लिए निरंतर प्रयासरत है। हालांकि वर्तमान में जल आवक पिछले वर्षों की तुलना से भी कम होने के कारण अतिरिक्त आवंटन संभव नहीं है। यदि फरवरी-मार्च में जल आवक में वृद्धि होती है, तो किसानों को अतिरिक्त पानी उपलब्ध कराने का प्रयास किया जाएगा।


बांध रहे खाली, कैसे मिले पूरा पानी
भाखड़ा सिंचाई प्रणाली के तहत सिंचाई पानी की उपलब्धता को लेकर जिला प्रशासन ने स्थिति स्पष्ट की है। जल संसाधन विभाग के अधीक्षण अभियंता रामाकिशन के अनुसार भाखड़ा सिंचाई प्रणाली को सतलुज नदी पर बने भाखड़ा बांध से पानी उपलब्ध कराया जाता है। बांध में 21 मई से 20 सितंबर तक संग्रहित और 21 सितंबर से 20 मई तक संभावित जल आवक के आधार पर भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) प्रतिवर्ष राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के लिए जल वितरण का निर्धारण करता है।

वर्ष 2024 में कम वर्षा के कारण 20 सितंबर को बांध का जलस्तर 1680 फीट की पूर्ण क्षमता के मुकाबले केवल 1648 फीट रहा। इस आधार पर राजस्थान को 1,68,900 क्यूसेक डेज जल आवंटित किया गया। इस तरह मानसून सीजन में बांध खाली रह गया। इस स्थिति में वर्तमान में मांग के अनुसार पानी मिलने में दिक्कत आ रही है।