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रेलवे कुआं नंबर तीन: सुविधाओं के लिए तरसता मोहल्ला, फूटा लोगों का दर्द

शहर के रेलवे कुआं नंबर तीन क्षेत्र में रह रहे लोग भले ही शहरी सीमा में आते हों, लेकिन यहां के हालात किसी उपेक्षित गांव से भी बदतर हैं। आजादी के 75 साल बाद भी यहां के निवासी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। जब पत्रिका टीम वहां पहुंची, तो मोहल्ले के लोग दर्जी घाट समाज भवन, गेहूं रोड पर एकत्रित हुए और अपनी समस्याओं को खुलकर सामने रखा। लोगों ने बिजली, पानी, सड़क, नाली, आवास योजना, राशन वितरण व्यवस्था और स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर गंभीर चिंता जताई।

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बाड़मेर।
शहर के रेलवे कुआं नंबर तीन क्षेत्र में रह रहे लोग भले ही शहरी सीमा में आते हों, लेकिन यहां के हालात किसी उपेक्षित गांव से भी बदतर हैं। आजादी के 75 साल बाद भी यहां के निवासी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। जब पत्रिका टीम वहां पहुंची, तो मोहल्ले के लोग दर्जी घाट समाज भवन, गेहूं रोड पर एकत्रित हुए और अपनी समस्याओं को खुलकर सामने रखा। लोगों ने बिजली, पानी, सड़क, नाली, आवास योजना, राशन वितरण व्यवस्था और स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर गंभीर चिंता जताई।

नाली और सफाई की समस्या:
मीना ने बताया कि मोहल्ले में जगह-जगह नालियां क्षतिग्रस्त हैं और जहां हैं, वहां कचरे से अटी पड़ी हैं। नियमित सफाईकर्मी नहीं आते, जिससे लोगों को खुद ही नालियां साफ करनी पड़ती हैं।

आवास योजना में देरी और भ्रष्टाचार के आरोप:
कमला देवी ने बताया कि 2022 में आवास की फाइलें नगर परिषद में जमा हो चुकी हैं। 1.5 लाख रुपए की राशि में से अधिकांश लोगों को केवल एक या दो किस्तें ही मिली हैं। वहीं, जोगाराम ने आरोप लगाया कि किस्त जारी करने के लिए कर्मचारी हर बार पांच हजार रुपए की रिश्वत मांग रहे हैं।

राशन और पानी की किल्लत:
अणसी देवी ने बताया कि मोहल्ले में राशन डिपो नहीं है, जिससे लोगों को टैक्सी करके दूसरे मोहल्लों से राशन लाना पड़ता है। परेश्वरी ने बताया कि पानी की सप्लाई नियमित नहीं है और हर महीने तीन-चार टैंकर मंगवाने पड़ रहे हैं।

सड़क और स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल:
सवाई राम ने कहा कि सड़कें जगह-जगह टूटी पड़ी हैं और नालियों का निर्माण 15 साल पहले हुआ था, उसके बाद कोई काम नहीं हुआ। जसराज दर्जी ने बताया कि जनता क्लिनिक में डॉक्टर की नियुक्ति नहीं है, केवल जीएनएम आती है और बीपी व शुगर जांच की सुविधा भी नहीं है।

श्मशान घाट और बिजली संकट:
शंकरलाल ने बताया कि श्मशान घाट में पानी या अन्य कोई सुविधा नहीं है। वहीं, कंवराराम ने कहा कि शाम छह बजते ही बिजली गुल हो जाती है, जिससे महिलाओं को अंधेरे में खाना बनाना पड़ता है।