श्री वैष्णव विद्यापीठ विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में 15 विद्यार्थियों को दिए गए गोल्ड मेडल
इंदौर. अपने शैक्षणिक संस्थान से डिग्री प्राप्त करने के बाद आप कुछ भी करें लेकिन ध्यान रहे आपकी शिक्षा यहीं खत्म नहीं हुई है। 21वीं सदी में सफल होने के लिए लगातार नया सोचना पड़ेगा, रोज सीखना पड़ेगा, ज्ञान कौशल को अपडेट रखना पड़ेगा। आज दुनिया तेजी से बदल रही है, अवसर बहुत है शिक्षा में करियर के ऑप्शन भी बहुत है, आपको भ्रमित नहीं होना है और सोच-समझकर निर्णय लेकर आगे बढऩा है। यह बात मुख्य अतिथि पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कही। वह सोमवार को श्री वैष्णव विद्यापीठ विश्वविद्यालय के सातवें दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुए थे।
समारोह में यूजी और पीजी कार्यक्रमों के 1424 विद्यार्थियों को डिग्री दी गई। इनमें 22 एचडी के शोधार्थी शामिल है। विभिन्न पाठ्यक्रम में सर्वाधिक अंक लाने वाले विद्यार्थियों को पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अपने हाथों से स्वर्ण पदक देकर सम्मानित किया। इस मौके पर मध्यप्रदेश निजी विवि नियामक आयोग के अध्यक्ष भरत शरण सिंह एवं श्री वैष्णव विद्यापीठ ट्रस्ट के मानद सचिव कमल नारायण भुराडिय़ा सहित न्यास के पदाधिकारी मौजूद रहे।
कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन के साथ हुई कुलाधिपति पुरुषोत्तम दास पसारी ने स्वागत भाषण दिया और विश्वविद्यालय व श्री वैष्णव नयास समूह के गौरवशाली इतिहास के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि डिग्री प्राप्त कर लेना शिक्षा का अंत नहीं है। यह जीवन की नई शुरुआत है, जहां विद्यार्थियों को कुछ नया सीखने की जरूरत है। कुलपति डॉ. उपिंदर धर ने वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत की और शैक्षणिक सत्र के दौरान हुई सभी की गतिविधियों के बारे में वहां मौजूद विद्यार्थियों और पालकों को अवगत कराया। उन्होंने बताया कि हम स्टेट प्राइवेट यूनिवर्सिटी इन इंडिया के आउटलुक आईकेयर रैंकिंग में शीर्ष 50 यूनिवर्सिटीज की सूची में शामिल हो चुके हैं।
मेडल पाने वाले विद्यार्थियों में छात्राओं की संख्या देख द्यकर मुझे बहुत खुशी हो रही है। मैं देश के कई विश्वविद्यालय में गया हूं। इन दिनों यह देखने में आ रहा है कि बेटियां बेटों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ रही है। आज यहां 15 गोल्ड मेडल दिए गए। इनमें से मेडल पाने वाली 10 लड़कियां और पांच लडक़े हैं।
समय के साथ बदला विश्वविद्यालय
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि शिक्षा का उपहार किसी भी व्यक्ति के लिए सबसे बड़ा उपहार होता है। आज मैं 140 साल पुराने ट्रस्ट को बधाई देता हूं कि वह युवाओं को यह उपहार देता आ रहा है। विश्वविद्यालय ने समय के साथ खुद को अपडेट भी किया है। इंडस्ट्री की जरूरत को देखते हुए विश्वविद्यालय ने रोबोटिक्स, ऑटोमेशन, एआइ ,मशीन लर्निंग, सेमीकंडक्टर डिजाइन और फिनटेक्स जैसे पाठ्यक्रम शुरू किए है। शिक्षा प्रणाली का उद्देश्य अच्छा मनुष्य और जिम्मेदार नागरिक बनाना है।
चरित्र आपका सबसे बड़ा आभूषण
आज पूरा विश्व महायुद्ध की कगार पर खड़ा है। ऐसे में शिक्षा का महत्व और भी बढ़ जाता है। शिक्षा आपको अच्छा मनुष्य बनाने के साथ ही ज्ञान कौशल और नैतिकता व सद्गुण से भी परिपूर्ण कर देती है। आपका चरित्र आपका सबसे बड़ा आभूषण है। चरित्र से सुदृढ़ता और समाज में सद्भाव होता है। इससे देश में समृद्धि होती है। यह विश्वविद्यालय शिक्षा के साथ ही विद्यार्थियों को भारतीय संस्कृति के नैतिक मूल्यों से आत्मसात करने में भी मदद कर रहा है। यहां से प्राप्त शिक्षा विद्यार्थियों को उनका लक्ष्य प्राप्त करने में मदद करेगी।
इन विद्यार्थियों को मिले मेडल
– गौतम सक्सेना
– मानवी सिंह
– खुशी कालरा
– मयूर शर्मा
– सुजल साहू
– अकांक्षा दीक्षित
– तनु कुलहरी
– मोहम्मद जीशान खान
– मिताली गुप्ता
– मोनिका सिंह चौहान
– शुची व्यास
– इशिता गुप्ता
– अक्षिता अग्रवाल