खरगोन. जिले के पर्यटन नगर महेश्वर में नर्मदा की सतह पर अब इको फे्रंडली नाव दौड़ेगी। यह पहल ध्वनि व जल प्रदूषण रोकने की दिशा में मप्र पर्यटन बोर्ड और जिला पुरातत्व पर्यटन व संस्कृति परिषद ने लिया है। अब नावों में तेज आवाज करने वाले इंजन की जगह उच्च दक्षता वाले फोर स्ट्रोक इंजन लगाए हैं। फिलहाल 30 नावों में यह इंजन लगा दिए हैं। इसे संचालितकरने के लिए नाव संचालकों को प्रशिक्षण भी दिया है। इसके अलावा जिला प्रशासन नर्मदा पट्टी की निकाय मंडलेश्वर और बड़वाह में महेश्वर के प्रोजेक्ट को लागू करने की दिशा में काम कर रही है।
जिला पुरातत्व पर्यटन व संस्कृति परिषद के नीरज अमझरे ने बताया घाटों पर चप्पु वाली नाव लगभग बंद हो गई है। इसमें मेन पॉवर भी अलग है। अब तक इसकी जगह गुजरात से नाव लाकर उसमें पुराने इंजन लगाकर वह चलाई जा रही थी, इन इंजन से आइल टपकता है, इससे जलीय जीवों को नुकसान पहुंचता है, अधिक आवाज से ध्वनि प्रदूषण होता है। इससे मुक्ति के लिए फोर स्ट्रोक इंजन बुलाए हैं जो कम ध्वनि करते हैं। अभी 30 इंजन महेश्वर देने योजना बनाई। एक इंजन की कीमत 2 लाख व इंस्टॉलेशन खर्च 35 हजार रुपए हैं।
इको फे्रंडली नाव का 60 लाख बजट
अमझरे ने बताया 30 इंजन का अनुबंध किया है। 40 लोगों को ट्रेनिंग दे चुके हैं। 22 नावों में नए फोर स्ट्रोक इंजन लग चुके हैं। इस काम के लिए करीब 60 लाख का फंड सीएसआर व अन्य मद से किया है। इंजन विदेश से बुलवाए हैं। नए इंजन इंस्टालेशन के बाद संचालन शुरू कर दिया है। महेश्वर में तीस इको फे्रंडली नाव संचालित करेंगे। दस इंजन की मांग अतिरिक्त की है।
यह होगा फायदा
-कम होगी डिजल की खपत।
-ध्वनि व जल प्रदूषण नहीं होगा।
-कम समय में सफर तय करेगी इको फ्रेंडली नाव।
-स्थानीय नाविकों को आर्थिक लाभ होगा।
-नर्मदा नदी स्वच्छ और प्रदूषण मुक्त रहेगी।
दो साल पहले शुरू की थी पहल
पर्यटन विभाग ने यह पहल दो साल पहले शुरू की थी। इसके लिए महेश्वर का चयन किया गया था। 25 दिसंबर 2024 मप्र टूरिज्म बोर्ड की अपर प्रबंध संचालक ने इसका परीक्षण किया था। जिला पंचायत सीइओ आकाशसिंह ने बताया नर्मदा घाट वाली निकाय मंडलेश्वर और बड़वाह में भी इसे लेकर प्रोत्साहित किया जाएगा।
अन्य तटीय निकायों में करेंगे प्रयोग
-इको फ्रेंडली नाव का प्रोजेक्ट अभी महेश्वर के लिए तैयार किया है। इसे पूरा करने के बाद रॉल मॉडल के रूप में मंडलेश्वर, बड़वाह, कसरावद में भी अपनाएंगे ताकि जल व वायू प्रदूषण को रोका जा सके। -आकाशसिंह, सीईओ, जिला पंचायत, खरगोन