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कर्नाटक विवाद : न्यूटन और आइंस्टाइन भी 104 को 117 से बड़ा नहीं बना सकते

कर्नाटक मामले पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अभिषेक मनु सिंघवी से विशेष बातचीत

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धीरज कुमार

सुप्रीम कोर्ट ने तो शपथ ग्रहण पर रोक नहीं लगाई। आगे की रणनीति क्या होगी?

हमारी रणनीति के कई पहलू हैं। इनमें कानूनी लड़ाई एक पहलू है। मगर हम इस लड़ाई को हर पहलू पर लड़ रहे हैं। इसमें राजनीतिक पहलू भी शामिल है। हम समग्रता से यह बात जनता के बीच ले जा रहे हैं कि इस सरकार और सत्तारुढ़ पार्टी भाजपा का चाल, चरित्र और चेहरा क्या है। हमारा मानना है कि यह झूठ और दोहरेपन से ग्रसित है। एक राज्य में वह जो करती है ठीक उससे उल्टा दूसरे राज्य में करती है।

 

लेकिन क्या इस जद्दोजहद के बावजूद जेडीएस और कांग्रेस कर्नाटक में सरकार बना पाएगी?

मैं कोई भविष्यवाणि करने वाला नहीं हूं। लेकिन कानूनी और संवैधानिक आधार से देखें तो इसका जवाब बहुत सरल है। माम लीजिए कि मैं, आप और एक अन्य व्यक्ति तीनों ने हाथ मिला लिया और सामने सिर्फ एक व्यक्ति खड़ा है तो क्या राज्यपाल उसकी संख्या ज्यादा मान सकते हैं? मैं समझ सकता हूं कि वह एक व्यक्ति हम एक से ज्यादा हो सकता है, लेकिन तीन से ज्यादा हो सकता है यह कौन कहेगा? यह तो इतना सरल गणित है कि इसे आइंस्टाइन या न्यूटन भी नहीं बदल सकते। जहां चुनाव आयोग ने 221 प्रमाणपत्र जारी किए हैं। इनमें 117 जेडीएस और कांग्रेस के हैं, तो बचेगा तो सिर्फ 104 ही ना। कोई जादुगर तो नहीं कि उससे ज्यादा हो जाएं। तो 104 वाले कैसे दावा कर सकते हैं कि वे 116 वाले से ज्यादा हैं। यह तो निश्चित रूप से गलत है।

 

कांग्रेस के विधायक तो एक-एक कर के गायब हो रहे हैं…

मैं नहीं मानता कि गायब हो रहे हैं। कल हमने एक नाम पढ़ा था शंकरा का लेकिन वह गलत था। हां, भाजपा के विधायक जरूर जा रहे थे, सुबह भाजपा में और शाम को जेडीएस में। मूल बात यह है कि हमारे विधायक सैद्धांतिक रूप से मजबूत हैं, लेकिन आप 15 दिन देंगे किसी व्यक्ति को 104 से 111 बनने के लिए तो यह कौन सा न्याय है। यह समझने के लिए किसी रॉकेट साइंस की जरूरत नहीं होगी कि यह सीधे-सीधे खरीद-फरोख्त की राजनीति हो रही है।

हाल के जो गोवा, मणिपुर और मेघायल जैसे उदाहरण हैं…

यह जनता देख रही है कि जहां कांग्रेस ने कभी इस तरह का डबल स्टैंडर्ड नहीं अपनाया। लेकिन भाजपा यह सब किस तरह कर रही है। हम उन्हें लोगों के सामने एक्सपोज जरूर करेंगे।