प्रतापगढ़. जिले में यूरिया की कमी का कारण जिले में कम आपूर्ति होने के साथ ही निजी दुकानों पर संग्रहण करना भी है। हालांकि अब सहकारी समितियों में भी आपूर्ति होने लगी है। लेकिन अभी काफी कम मात्रा में आपूर्ति हो रही है। ऐसे में ेकई किसानों को अभी यूरिया से वंचित रहना पड़ रहा है।
इसके साथ कृषि विभाग की ओर से की जा रही जांचों में सामने आया कि है अधिकांश किसान निकटवर्ती एमपी में भी यूरिया पहुंचा रहे है। ऐसे में विभाग की ओर से अब इस पर रोक लगाई जाएगी। इसके लिए विभाग की ओर से पांच टीमों का गठन किया गया है। जो सीमावर्ती इलाकों में बॉर्डर पर निगरानी रखेगी।
जिले में इन दिनों रबी बुवाई का दौर पूरा होने को है। वहीं दूसरी पाण शुरू हो गई है। ऐसे में अब यूरिया की आवश्यकता होने लगी है। लेकिन बाजार में यूरिया उपलब्ध नहीं होने कृत्रिम कमी बनी हुई है।
इसे देखते हुए कृषि विभाग की ओर से निजी दुकानों पर निर्धारित दर पर यूरिया का वितरण शुरू किया गया है। इसके साथ ही सहकारी समितियों में भी यूरिया की आपूर्ति होने लगी है। वहीं गत दिनों से कमी को देखते हुए कृषि विभाग की ओर से जांच की गई। जिसमें सामने आया कि यहां जिले से निकटवर्ती एमपी में यूरिया के बैग पहुंचाए गए। जिससे कमी हो गई। इसे देखते हुए अब कृषि विभाग सतर्क हो गया है। विभाग की ओर से पांच टीमें गठित की गई है। जो एमपी सीमा पर निगरानी रखेगी।
किसानों को समय पर यूरिया उपलब्ध कराना प्राथमिकता
जिले में किसानों को समय पर यूरिया उपलब्ध कराना कृषि विभाग की प्राथमिकता है। इसके लिए हम पूरी कोशिश कर रहे है। जहां भी खाद की कालाबाजारी या गोदाम में पड़ा होने की सूचना मिलती है। वहां कृषि विभाग की टीम पहुंच रही है। इसके साथ ही जिले में सहकारी समितियों में भी खाद पहुंचने लगा है। इससे काफी राहत है। गत दिनों से कुछ लोगों द्वारा एमपी में यूरिया पहुंचाने की सूचनाएं मिली है। इस पर विभाग की ओर से पांच टीमों का गठन किया गया है। जो लगातार नजर रखे हुए है।
– गोपालनाथ योगी, उप निदेशक, कृषि विस्तार, प्रतापगढ़.
बरोठा में मात्र दो सौ बैग आए
असावता. निकटवर्ती बरोठा में यूरिया नहीं मिला। वहीं हाल ही में यहां समिति में मात्र दो सौ बैग आए। जो मांग के अनुसार काफी कम रहे। इससे काफी परेशानी हुई। सहकारी समिति के उपाध्यक्ष कालूङ्क्षसह पाटिया ने बताया कि बरोठा लेम्प में इस वर्ष रबी की सीजन में यूरिया नहीं मिला। ऐसे में किसानों को मजबूर में पांच सौ रुपए में यूरिया खरीदना पड़ा। उन्होंने आरोप लगाया कि कृषि विभाग के अधिकारियों का इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। जहां किसानों से खुलेआम ग्रामीण क्षेत्र में लूट की जा रही है। जबकि छोटीसादड़ी इलाके में खाद की कमी नहीं है। जिससे उन्होंने अरनोद-प्रतापगढ़ इलाके में सौतेला व्यवहार का आरोप लगाया है।
पहुंचा यूरिया, दो-दो बैग वितरित
चूपना. यहां सहकारी समिति में शुक्रवार रात को यूरिया की गाड़ी पहुंची। इसके साथ ही शनिवार को वितरण किया गया। इसके लिए सुबह से ही किसान पहुंच गए। कुछ ही देर में यहां किसानों की कतार लग गई। समिति की ओर से किसानों आधार कार्ड के जरिए दो-दो बैग वितरित किए गए। जिससे शाम तक यहां यूरिया का वितरण किया गया।