विषयातर्गत लेख है कि आजादी के पूर्व से कोटवार पीढ़ी दर पीढ़ी शासन की अंतिम कड़ी के रूप में ग्रामीण स्तर पर रहकर निष्ठापूर्वक अपनी सेवा देते आ रहे है परन्तु विडम्बना है कि कोटवारों को आज तक नियमित कर्मचारी का दर्जा प्रदान नहीं हो ची पाया है। चुनाव पूर्व कांग्रेस घोषणा पत्र में इस बात का उल्लेख किये जाने के बाद भी शासन द्वारा कोई पहल नहीं किया गया जिसके कारण प्रदेश के कोटवारों में शासन के प्रति असंतोष व्याप्त है।
वर्तमान बजट में मानदेय में नाम मात्र की वृद्धि कियागया जो ना काफी है
और इससे कोटवारों को कोई खुशी नहीं है। वैसे ही भूपू मालगुजारों द्वारा दी गई
माफी जमीन जो आपने अपने राजस्व मंत्रीत्व कार्य काल में मालिकाना हक में दिया