सागर. नगरीय निकाय में विलय के मसौदे की गोपनीयता से आशंकित छावनी क्षेत्र के रहवासियों ने मोर्चा खोल लिया है। लोग सोमवार को परेड मंदिर पर इकट्ठा हुए और रैली के रूप में छावनी परिषद कार्यालय पहुंचे। रहवासी छावनी प्रशासन द्वारा विलय के लिए तैयार किए गए प्रस्ताव को गोपनीय रखने और लीजभूमि, बंगला क्षेत्र के लोगों के लिए तय शर्तों को उजागर नहीं करने से आशंकित हैं। रहवासियों ने मंगलवार को दिल्ली में होने वाले प्रजेंटेशन से पहले प्रस्ताव की जानकारी उपलब्ध कराने की मांग करते हुए 11 सूत्रीय ज्ञापन सीइओ को सौंपा।
सांसद राजबहादुर सिंह की मौजूदगी में छावनी परिषद की पूर्व उपाध्यक्ष पूनम पटेल एवं ऑल इंडिया छावनी बोर्ड एसोसिएशन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वीरेन्द्र पटेल सहित छावनी के रहवासी बड़ी संख्या में सोमवार दोपहर को परेड मंदिर पहुंचे थे। यहां लोगों ने सांसद राजबहादुर सिंह के सामने अपनी परेशानियां और छावनी प्रशासन द्वारा विलय के प्रस्ताव पर गोपनीयता बरतने की वजह से अपने हित प्रभावित होने का अंदेशा जताया। सांसद ने लोगों की चिंता को देखते हुए उन्हें इस मामले में आश्वस्त किया। छावनी परिषद की पूर्व उपाध्यक्ष पूनम व वीरेन्द्र पटेल ने रैली के बाद छावनी कार्यालय में सांसद राजबहादुर सिंह की अगुवाई में सीइओ श्रेया जैन को 11 बिंदुओं पर संबोधित ज्ञापन सौंपा।
– विलय के पहले जनता की 11 मांगें:
1. सिविल एरिया, बी-3, बी-4 श्रेणी की भूमि को निगम में शामिल करने पर आर्थिक भार किसान-रहवासियों पर न डाला जाए।
2. कृषि भूमि का लीज रिन्यूअल, कंपाउंड प्रकरण निशुल्क हों।
3. बंगला एरिया को फ्री होल्ड कर कंपाउंड करें लेकिन रहवासियों से टैक्स न वसूला जाए।
4. बी-3 एवं बी-4 (बंगला एरिया व कृषि भूमि) के रहवासियों को प्रधानमंत्री आवासों का लाभ दिया जाए।
5. सदर में सी लैंड पर रहने वालों को भी कंपाउंड व फ्रीहोल्ड शुल्क की छूट मिले।
6. सदर व अन्य रहवासियों को झोंपडिय़ों की जगह आवास उपलब्ध कराए जाएं।
7. खुले क्षेत्र, मैदान, कृषि भूमि को भी नगरीय निकाय में शामिल किया जाए।
8. छावनी के रहवासियों पर चल रहे अतिक्रमण, अनाधिकृत निर्माण संबंधी प्रकरण भी वापस हों।
9. छावनी के रहवासी किसानों को प्राकृतिक आपदा की स्थिति में क्षतिपूर्ति- मुआवजा मिले।
10. विलय की प्रक्रिया के संदर्भ को देखते हुए छावनी के रहवासियों को भी केंद्र-राज्य की योजनाओं का लाभ देना तय हो।
11. रहवासियों पर अतिरिक्त टैक्स लगाए बिना बकाया राशि शून्य की जाए। विलय की स्थिति में पांच वर्ष तक कर मुक्त रखना जाए।