सागर . फाल्गुन माह की पूर्णिमा पर होलिका दहन किया जाएगा। शहर में 150 से अधिक स्थानों पर होलिका दहन होगा। गुरुवार को सुबह से ही स्कूल कॉलेज में खूब होली खेली गई। रात में फाल्गुन पूर्णिमा सुबह 10 बजकर 36 मिनट पर प्रवेश हो रही है जो 14 मार्च दिन शुक्रवार की दोपहर 12 बजकर 24 मिनट तक रहेगी। शुक्रवार को फाल्गुन पूर्णिमा प्रदोष काल व्यापिनी नहीं है इसलिए इस दिन होलिका का दहन नहीं होगा। गुरुवार को फाल्गुन पूर्णिमा प्रदोष काल व्यापिनी है, लेकिन इस दिन भद्रा रात्रि 11 बजकर 28 मिनट तक रहेगी। रात्रि 11 बजकर 28 मिनट के बाद एवं निशीथ कल से पहले अर्थात रात्रि 12 बजकर 33 मिनट के पहले होलिका का दहन करना शास्त्र सम्मत रहेगा।
मुख्य रूप से शहर के भीतर बाजार, बड़ा बाजार, सरस्वती मंदिर, बालाजी मंदिर, मोती नगर, काकागंज हनुमान मंदिर, विजय टॉकीज चौराहा, सदर, भगवानगंज, राधा तिराहा, परकोटा, तीन बत्ती, सिविल लाइन, गोपालगंज, मकरोनिया, तिली आदि जगहों पर लोग बड़ी संख्या में एकत्रित होकर होलिका दहन करेंगे। होलिका दहन के लिए बुधवार को ही तैयारियां शुरु हो गई। बुधवार शाम को ही सफाई और भूमिपूजन कर परकोटा, भीतर बाजार सहित अनेक जगह पर लकडिय़ां सजा कर होलिका तैयार कर ली गई थीं। भीतर बाजार में होलिका और भक्त प्रहलाद की मूर्तियां स्थापित कर होलिका सजा दी गई है।
भद्रा में नहीं करते हैं होलिका दहन
ज्योतिषाचार्य डॉ. श्याम मनोहर चतुर्वेदी ने बताया है कि प्रदोष काल व्यापिनी फाल्गुन पूर्णिमा को भद्रा काल को छोडक़र होलिका दहन करना चाहिए। यदि फाल्गुन पूर्णिमा 2 दिन प्रदोष काल व्यापिनी रहती है तो या पूर्णिमा दूसरे दिन प्रदोष काल के पहले ही समाप्त हो जाती है तो इन दोनों परिस्थितियों में होलिका दहन भद्रा काल को छोड़कर पहले दिन किया जाता है। यदि भद्राकाल दोष उस दिन प्रदोष काल के उपरांत भी है तो भद्र मुख छोड़कर निशीथ काल के पहले होलिका का दहन कर लेना चाहिए।