पन्ना/शाहनगर. 42 डिसे तापमान पर जिले की शाहनगर जनपद पंचायत की ग्राम पंचायत बीजाखेड़ा के करीब दर्जनभर किसान गुरुवार को पैदल ही भोपाल के लिए कूच कर गए हैं। करीब 384 किमी की पैदल यात्रा कर वे राजधानी पहुंचेंगे और वहां मुख्यमंत्री से जमीन के बदले मुआवजे की मांग करेंगे। इतना ही नहीं, सीएम को अपना दर्द भी बताएंगे कि तालाब के डूब क्षेत्र में जमीन आ गई है। मुआवजा बनाने के लिए पटवारी कमीशन मांगता है। इसकी शिकायत एसडीएम और कलेक्टर से भी की पर न्याय नहीं मिला।
जत्थे में शामिल किसानों ने बताया कि 2001 में गांव के करीब 150 किसानों की जमीन डूब क्षेत्र में आई थी। ज्यादातर किसानों को शासन स्तर से मुआवजा दिया गया, लेकिन जिनको आवंटन में जमीन मिली थी उन्हें न तो वैकल्पिक तौर अन्यत्र जमीन उपलब्ध कराई गई और न मुआवजा दिया गया। ऐसे करीब आधा दर्जन किसान हैं। इन्होंने पटवारी, आरआइ से लेकर कलेक्टर तक को परेशानी बताई पर समाधान नहीं हुआ। इसलिए हल्कीबाई पति रामचरण सिंह गोड़, रामनाथ पिता दांदीलाल यादव, मिलन पिता दशरथ चौधरी, फदाली पिता शुद्धुलाल यादव और गौरी बाई पति दंदीलाल यादव ने सीएम के समक्ष बात रखने का निर्णय लिया। 20 अप्रेल गुरुवार को सभी भोपाल के लिए रवाना हो गए हैं। उन्होंने बताया कि जहां रात होगी वहीं विश्राम करेंगे। सुबह होते ही फिर पदयात्रा शुरू कर देंगे।
अन्नदाता का दर्द
गांव के मिलन कुमार बताते हैं कि 2001 में आवंटित भूमि डूब क्षेत्र में चली गई। अफसरों ने धोखाधड़ी कर जमीन छीन ली और उसके बदले न जमीन दी गई और न मुआवजा मिला। इसलिए हम मुख्यमंत्री को अपनी परेशानी बताने के लिए भोपाल जा रहे हैं। वहीं सरल यादव का कहना है कि उनकी डेढ़ हेक्टेयर जमीन डूब में गई थी। पटवारी ने मुआवजा नहीं बनाया। अब उनके पास जमीन भी नहीं रही। कुछ ऐसी ही व्यथा गौरी बाई की है। महिला किसान बताती हैं कि जमीन गई, मुआवजा नहीं मिला। कई बार आवेदन दिया। तहसीलदार, एसडीएम व कलेक्टर कोई सुनने को तैयार नहीं।
गेंदाबाई की फाइल मैंने देखी है। जितनी जमीन उसके नाम पर दर्ज है उसका मुआवजा उसे दिया जा चुका है। कुएं का मुआवजा भी सरकारी दर के अनुसार भुगतान हो गया है। अन्य लोगों का मामला अभी तक मेरे संज्ञान में नहीं है। जहां तक पटवारी पर आरोप की बात है तो मैं जांच करा लूंगी।
श्रुति अग्रवाल, एसडीएम शाहनगर