सिंगरौली. राधा कृष्ण मंदिर बनियान तालाब सरई में श्रीराम कथा भागवत व श्री हनुमान मारूति यज्ञ के छठवें दिन कथा वाचिका ममता पाठक रामवन गमन व केवट संवाद की कथा का वाचन किया। कथा सुनकर वहां बड़ी संख्या में पहुंचे श्रोतागण भाव विभारे हो उठे।
कथा का वाचन करते हुए कथा वाचिका ने कहा कि रामचरित मानस पढ़ लेना ही काफी नहीं उसे आत्मसात करने की जरूरत है। इसलिए सभी रामचरित मानस को सिर्फ़ पढ़ने व सुनने तक ही सीमित न रहें। रामचरित मानस को अपने जीवन में आत्मसात करें। रामकथा के छठवें दिन उन्होंने राम वनवास और राम-केवट संवाद की कथा का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि भरत जैसा भाई इस युग में मिलना मुश्किल है।
भगवान राम मर्यादा स्थापित करने को मानव शरीर में अवतरित हुए। पिता की आज्ञा पर वह वन चले गए। भगवान राम वन जाने के लिए गंगा घाट पर खड़े होकर केवट से नाव लाने को कहते हैं, लेकिन केवट मना कर देता है और पहले पैर पखारने की बात कहता है। केवट भगवान का पैर धुले बगैर नाव में बैठाने को तैयार नहीं होता है। कहा कि ये उसका प्रेम व भक्ति भाव था।
भगवान प्रेम भाव देने वाले का हमेशा कल्याण करते हैं। इसी प्रकार उन्हें आगे भरत के चरित्र का वर्णन किया। कहा कि भरत ने भगवान राम के वनवास जाने के बाद खड़ाऊं को सिर पर रखकर राजभोग की बजाय तपस्या की। यह एक भाई का भाव है। इसी प्रकार कथा के अन्य प्रसंगों के जरिए श्रोतागण को कथा वाचिका ने प्रेरित किया।