Housing problem : गुजरात सरकार की हाउसिंग बोर्ड पुनर्विकास योजना 2016 के तहत शहर में गुजरात हाउसिंग बोर्ड के घरों का पुनर्विकास (Redevelopment) किया जाना था।
सरकार ने 2016 में अपनी ‘सार्वजनिक आवास पुनर्विकास नीति’ की घोषणा की थी। यह जर्जर सार्वजनिक आवास कॉलोनियों के पुनर्विकास के लिए निजी डेवलपर्स को आकर्षित करने के एक नई योजना थी। इसमें गुजरात हाउसिंग बोर्ड की पुरानी सोसायटियों का पुनर्विकास भी शामिल था। जिसके जरिए लोगों की आवास समस्या (Housing problem) को जल्द खत्म किया जा सके। इसे अहमदाबाद, वडोदरा और सूरत के क्षेत्रों के लिए इसको शुरू किया गया।
इस योजना के तहत ही पांडेसरा में हाउसिंग बोर्ड के घरों के पुनर्विकास के लिए स्थानीय निवासियों द्वारा एक प्रस्ताव रखा गया था। वर्ष 2020 में पांडेसरा में आवास के लिए योजना लागू की गई थी।
रि-डवलपमेंट (redevelopment) को मंजूरी मिलने के बाद भी अब तक कार्य शुरू नहीं हुआ है। जिससे नाराज लोगों ने शुक्रवार को गुजरात हाउसिंग बोर्ड के कार्यालय (housing board office) के बाहर विरोध प्रदर्शन किया और ज्ञापन सौंप कर जल्द से जल्द प्रोजेक्ट को शुरू करने की मांग की।
इसके लिए 90 फीसदी आवास धारकों के सहमति पत्र गुजरात हाउसिंग बोर्ड को सौंपे जा चुके हैं। कुछ लोगों ने इसके खिलाफ अपील गुजरात उच्च न्यायालय में की है और इसका फैसला अभी नहीं आया है। नतीजतन मामला अटक गया है,जिसे लेकर गुजरात हाउसिंग बोर्ड की ओर से भी कोई प्रयास नहीं किए जा रहे हैं।
लोगों का कहना है कि अभी तो हमें बिल्डर द्वारा किराया भी दिया जाता है। लेकिन डर है कि किसी दिन उन्होंने किराया देना बंद कर दिया और परिवारों को सड़क पर रहने का वक्त आ गया तो..
इसलिए उनकी मांग है कि मकानों का शीघ्र पुनर्निर्माण(redevelopment) कराया जाए। क्योंकि अब अपना घर होते हुए भी वे सभी किराए के मकान में रहने को मजबूर हो गए हैं।
इतने समय से अपने मकानों का इंतजार कर रहे लोगों का फूटा गुस्सा किया विरोध प्रदर्शन