टोंक. बीसलपुर बांध में पूर्ण भराव क्षमता 315.50 आरएल मीटर पानी भरने पर शुक्रवार को जिला कलक्टर टोंक ने चिन्मयी गोपाल ने विधिवत पूजा कर बांध के दो गेट खोले। बनास नदी में पानी छोड़ा गया।
बीसलपुर बांध में पानी की आवक का मुख्य स्त्रोत बनास नदी है, जो राजसमंद जिले की खमनोर की पहाडिय़ों से निकलती है।बनास राजसमंद जिले से होकर चित्तौडगढ़़, भीलवाड़ा होकर टोंक जिले के बीसलपुर बांध स्थल तक पहुंचती है। बांध में जलभराव को लेकर बनास नदी मुख्य भूमिका निभाती हैं। बनास नदी में भीलवाड़ा जिले में स्थित ऊवली नदी, जिस पर जैतपुरा बांध बना हुआ है। और मेनाली नदी जिस पर गोवटा बांध बना है। दोनों बांधों के ओवरफ्लो होने पर पानी बनास नदी से बांध में आता है। इसी प्रकार बेडच नदी व गम्भीरी नदी का पानी भी बनास में आता है। कोठारी नदी पर कोठारी बांध बना हुआ है। डाई नदी जो अजमेर जिले से बहकर बांध में पहुंचती है। वही खारी नदी भी अजमेर जिले से बहकर बांध पर पहुंचती है। बनास,खारी व डाई नदियों का पानी बीसलपुर बांध में पहुंचता है। जो बांध के जलभराव का मुख्य स्त्रोत है।
शिलान्यास: 25 जनवरी 1985
निर्माण कार्य शुुरू: 1987 में
निर्माण पूरा हुआ: 1996 में
लागत: करीब 300क्र करोड़
कैचमेंट एरिया: लगभग 28 हजार 800 वर्ग किमी
कुल जलभराव क्षेत्र: 21 हजार 300 हेक्टेयर भूमि जलमग्न
पूर्ण रूप से डूब क्षेत्र: कुल 68 गांव
कुल जलभराव क्षमता: 315.50 आरएल मीटर
बांध बनने के बाद पहली बार 2001 में 311आरएल मीटर का भराव हुआ। वहीं 2004, 2006, 2014, 2016 व 2019 में पूर्ण जलभराव 315.50 आरएल मीटर होने के बाद बनास नदी में पानी की निकासी करनी पड़ी है। वहीं 2010 में बांध बनने के बाद सबसे कम गेज 298.67 आरएल मीटर दर्ज किया गया है, जिससे बांध पूर्ण रूप से सूखने के कगार पर पहुंच गया था।
जयपुर, अजमेर, टोंक व भीलवाड़ा की लाइफ-लाइन है बांध
अभी बांध से रोजाना 480 एमएलडी पानी जयपुर शहर, 330 एमएलडी अजमेर, 52 एम एल डी मालपुरा-दूदू, 53 एमएलडी चाकसू व 50 एम एल डी को दिया जा रहा है