राजेश जारवाल
उज्जैन. शहर के लोग अब प्रकृति संरक्षण का महत्व समझ रहे हैं। मिट्टी, पेड़, नदी और तालाबों को सहेजने की ओर जागरूक हो रहे हैं। इसके लिए गणेश चतुर्थी पर इको फ्रेंडली यानी मिट्टी की बनी मूर्तियां विराजित करने वाले लोगों का प्रतिशत अब शहर में बढ़ गया है। दो-तीन वर्षों से शहरवासियों का मिट्टी से जुड़ाव बढ़ा है या कह सकते हैं कि प्रकृति ही अब उनके लिए प्रथमेश है। पत्रिका आह्वान…घर-घर विराजे मिट्टी के गणेश…घरों में ही हो विसर्जन… थीम पर शहर के कई मूर्तिकार, कई संगठन और सामाजिक संस्थाएं मिट्टी के गणेश बनाने का प्रशिक्षण दे रहे हैं। इसका असर भी दिख रहा है। अब घरों और पंडालों में मिट्टी की गणेश मूर्तियां ही विराजित के प्रति लोग संकल्पित हैं।
ये हैं प्रकृति प्रेमी, दे रहे माटी की प्रतिमा बनाने की प्रेरणा
चार पीढिय़ों से मिट्टी की मूर्तियां बनाने वाले आर्टिस्ट परिवार पीओपी की मूतियां नहीं बनाते, क्योंकि ये भगवान की बनाई हुई प्रकृति, जलस्रोतों को नुकसान नहीं पहुंचाने चाहते। वर्ष 1950 में ग्वालियर से उज्जैन रहने आए आर्टिस्ट जीवनलाल ठाकुर ने मिट्टी की मूर्तियां बनाने की शुरुआत की थी। इनके बाद रामकुमार ठाकुर और फिर नारायणसिंह, त्रिलोक ठाकुर और उनके बच्चे इस परंपरा को निभा रहे हैं। त्रिलोक ठाकुर बताते हैं शहर में अब मिट्टी की मूर्तियां विराजित करने की जागरूकता बढ़ रही है। हर साल करीब 30 प्रतिशत मांग बढ़ रही है। यही नहीं ठाकुर शहर सहित दिल्ली-मुंबई में भी मिट्टी की मूर्तियां बनाने की कार्यशाला में प्रशिक्षण भी दे चुके हैं। इसका आयोजन भारत सरकार की ओर से होता है।
लोगों में बढ़ रहा क्रेज
अब लोग मिट्टी की मूर्तियों के प्रति जागरूक हो रहे हैं। मूर्तिकार ठाकुर बताते हैं वर्ष 2022 के मुकाबले इस साल लोगों में मिट्टी की मूर्तियों की डिमांड करीब 30 प्रतिशत बढ़ी है।
ऐसे बनती मिट्टी की मूरत
मूर्तिकार ठाकुर ने बताया मिट्टी की मूर्तियां बनाने के लिए इन वस्तुओं की जरूरत पड़ती है और इन्हें ऐसे बनाया जाता है
पीली मिट्टी, गोंद, चाक पावडर, कागज की कतरन।
इनका पेस्ट बनाकर आटे जैसा गूंथ लेते हैं।
फिर सांचे में ढालकर मूर्ति बनाते हैं।
कुछ आर्टिस्ट बिना सांचे के हाथ से बनाते हैं।
मूर्ति को सूखाया जाता है।
कलर किया जाता है।
बनाने में समय
एक फीट की मूर्ति बनाने में लगने वाला समय: 1 से दो दिन
ढाई फीट की मूर्ति : 5-6 दिन
कीमत : 50 रु. से 5000 रुपए तक
लागत
मूर्तिकार के अनुसार ढाई फीट की मूर्ति बनाने में करीब 700 रुपए की सामग्री लगती है। इसमें आर्टिस्ट का मार्जिन मिलाकर यह मूर्ति करीब हजार रुपए की पड़ती है।
सप्लाय
उज्जैन सहित रतलाम, शुजालपुर, तराना, राजस्थान के कोटा, रामगंजमंडी सहित कई शहरों में मूर्ति बनाकर सप्लाय की जाती है। इसका चलन बढ़ता जा रहा है।
पीओपी की मूर्तियों के नुकसान -शोध के अनुसार वर्ष 2005 में पीओपी से बनी मूर्तियां अरब सागर में प्रवाहित की गई थीं, वे मूर्तियां 11 साल बाद भी पानी में नहीं घुली थी। मूर्तियों में मिले केमिकल जीवों के लिए जानलेवा है।