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किसानों की आफत: मसूर- चना की कटाई में खर्च होगी 34 करोड़ की अतिरिक्त राशि

फसल कटाई गत वर्ष से दो हजार रुपए प्रति हैक्टेयर तक महंगी

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किसानों की आफत: मसूर- चना की कटाई में खर्च होगी 34 करोड़ की अतिरिक्त राशि

किसानों की आफत: मसूर- चना की कटाई में खर्च होगी 34 करोड़ की अतिरिक्त राशि

विदिशा। जिले में किसानों की आफत कम नहीं हो रही है। बोवनी के दौरान डीजल और अन्य सामानों की महंगाई से किसानों की जेब खाली हुई तो अब फसल कटाई में मजदूरी बढऩे से अतिरिक्त राशि खर्च करने की नौबत बन रही है। किसानों का कहना है कि इस बार कटाई पर प्रति हैक्टेयर 2 हजार रुपए तक का अतिरिक्त खर्च बढ़ गया है। इससे जिले के किसानों को इस वर्ष मसूर की पटाई और चने की कटाई में गत वर्ष की अपेक्षा 34 करोड़ से अधिक की अतिरिक्त राशि खर्चकरना पड़ेगी।

मालूम हो कि जिले में चने व मसूर की फसल अधिकांश क्षेत्रों में पक चुकी और इन फसलों की कटाई भी शुरू हो गई है। ग्राम सन, वन, सौजना, हथियाखेड़ी, सलोई, पीपरहूटा, गुलाबगंज, सरवाय, बरेठ, कराखेड़ी, करैया, डाबर, कुआखेड़ी, परसौरा, परासी बेरखेड़ी आदि गांव में बड़ी संख्या में मजदूर मसूर की पटाई एवं चने की कटाई कार्य में लगे हुए हैं। किसानों का कहना है कि यह मजदूर विदिशा जिले के अलावा कटनी, दमोह व अन्य स्थानों से लाए जा रहे हैं। अभी अङ्क्षसचित क्षेत्रों में फसल कटाई का कार्य चल रहा है। कुछ ही दिनों में असिंचित क्षेत्रों में भी कटाई का कार्य शुरू होगा और मार्च अंत तक कटाई का यह कार्य पूरा हो जाएगा।


ऐसे में लाभ का धंधा कैसे बनेगी खेती
इधर किसान नेता राजकुमार बघेल ने बताया कि फसल के शुरूआत में ही किसानों को बोवनी कार्यमें महंगे डीजल, दवा व सिंचाई कार्य बिजली आदि पर गत वर्ष की अपेक्षा इस बार करीब 7 हजार रुपए प्रति हैक्टेयर अतिरिक्त खर्च करना पड़ा था और मजदूरी बढऩे से कटाई का खर्च भी बढ़ गया। जबकि समर्थन मूल्य एवं मंडी में अनाज के दाम लागत के मान से नहीं बढ़ते। उन्होंने कहा कि सरकार खेती को लाभ का धंधा बनाने की बात कहती आईपर सरकार लागत के अनुरूप किसानों को लाभकारी मूल्य नहीं दिला पा रही।ऐसे में खेती लाभ का धंधा कैसे बन पाएगी। उनका कहना है कि ऐसी ही स्थिति रही तो भविष्य में किसानी कार्य में और अधिक संकट बढ़ जाएगा।

प्रति हैक्टेयर पर बढ़ी दो हजार मजदूरी
ग्राम सौजना के किसान प्रहलादसिंह रघुवंशी ने बताया कि वे अपनी 20 हैक्टेयर मेें फसलों की कटाई करा रहे हैं।गत वर्ष 200 रुपए प्रतिदिन मजदूरी थी और प्रति हैक्टेयर करीब 6000 रुपए खर्च आता था, लेकिन इस बार यह मजदूरी 250 से 300 रुपए हो गई वहीं मजदूरों को लाने के लिए परिवहन पर भी अधिक राशि खर्चकरना पड़ रही है। इससे यह कटाई 8000 रुपए प्रति हैक्टेयर पड़ रही। इस तरह मजदूरी एवं परिवहन कार्य में गत वर्ष की अपेक्षा प्रति हैक्टेयर करीब 2000 हजार रुपए अतिरिक्त खर्च बढ़ा है।

फसल कटाई पर 34 करोड़ से अधिक का अतिरिक्त खर्चा आएगा
जिले में इन फसलों का रकबा देखें तो चने का प्रस्तावित रकबा 1 लाख 15 हजार हैक्टेयर एवं मसूर का 58 हजार हैक्टेयर है। इस मान से दोनों फसल का कुल रकबा जिले में 1 लाख 73 हजार हैक्टेयर है। वहीं प्रति हैक्टेयर मजदूरी पर 2000 रुपए अतिरिक्त राशि खर्चहोने से जिले के किसानों को इस बार गत वर्ष की अपेक्षा करीब 34 करोड़ 60 लाख की अतिरिक्त राशि इस कार्यमें खर्च करना पड़ सकती है।