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45 लाख का पैकेज छोड़ देशसेवा करेंगे शुभंकर, एमपी का बेटा उड़ाएगा लड़ाकू विमान

देश की सेवा करने के लिए एमपी के शुभंकर ने लाखों रुपए के सालाना पैकेज को ठुकरा दिया है। अब वे भारतीय सेना में लड़ाकू विमान उड़ाएंगे।

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45 लाख का पैकेज छोड़ देशसेवा करेंगे शुभंकर, एमपी का बेटा उड़ाएगा लड़ाकू विमान

45 लाख का पैकेज छोड़ देशसेवा करेंगे शुभंकर, एमपी का बेटा उड़ाएगा लड़ाकू विमान

गोविंद सक्सेना@विदिशा. भारतीय वायुसेना में पायलट के लिए चयनित शुभंकर गायकवाड़ के घर उत्साह का माहौल है। दुर्गानगर निवासी पंकज गायकवाड़ के पुत्र शुभंकर के मन में बचपन से ही चाह थी, नीली यूनीफार्म पहनकर प्लेन उड़ाने की उम्र के साथ उनका यह सपना भी जवां होता गया और कठिन दौर की परीक्षाओं को पास कर अब वे अपने सपनों की नीली यूनीफार्म पहनकर पायलट के रूप में आकाश में उडऩे को तैयार हैं। उनकी इस सफलता से वे ही नहीं, परिवार, शुभचिंतक और विदिशा भी गौरवान्वित है।

शुभंकर गायकवाड़ ने इसी साल आइआइटी जोधपुर से कंप्यूटर साइंस से अपनी डिग्री प्राप्त की है। वे पिछले करीब 6 माह से हैदराबाद में माइक्रोसॉफ्ट कंपनी में 45 लाख रुपए सालाना के पैकेज पर कार्यरत हैं। फरवरी 2021 को वे अपनी पढ़ाई के साथ ही यूपीएससी के माध्यम से होने वाले कंबाइन डिफेंस सर्विसेज (सीडीएस) की परीक्षा में शामिल हुए। जयपुर में हुई इस परीक्षा में देश के करीब साढ़े 6 लाख परीक्षार्थी शामिल हुए थे, मार्च में जब परिणाम आया तो करीब 650 युवाओं का चयन हुआ।

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परिवार बोला हमारे लिए गौरव के क्षण

शुभंकर के पिता कृषि विभाग में पदस्थ पंकज गायकवाड़ कहते हैं कि ये हमारे परिवार के लिए गर्व का पल है। हम मराठा हैं, लेकिन परिवार में सेना में कोई नहीं रहा, फिर भी बेटे को हमेशा प्रेरित किया। मां रक्षा कहती हैं कि माइक्रोसॉफ्ट कंपनी में अच्छी नौकरी, अच्छा पैकेज था, लेकिन पायलट बनना शुभंकर का सपना था, मन रिस्क लेने से डरता था, लेकिन अब गर्व का अनुभव हो रहा है। दादी सरोज गायकवाड़ कहती हैं कि अपनी खुशी को बयां करना संभव नहीं है। बेटा देश के लिए काम करने तैयार हो रहा है। शुभंकर के छोटे भाई दीपांकर अभी बीटेक कर रहे हैं वे कहते हैं कि भाई शुरू से ही पायलट बनने की चाह रखते थे, उनके सपने को सच होते देखना मेरे लिए बहुत बड़ी प्रेरणा का काम करेगा। शुभंकर के पिता के पारिवारिक मित्र उमेश शर्मा कहते हैं कि भारतीय वायु सेना में शहर के बेटे का चयन पूरे विदिशा के लिए गर्व का पल है। इससे जिले के युवाओं को प्रेरणा मिलेगी।

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शुरू से आकर्षित करती है नीली वर्दी और लड़ाकू विमान
शुभंकर कहते हैं कि पता नहीं ये आकर्षण कब और कैसे पैदा हुआ, लेकिन जब से मुझे याद है तब से मुझे वायु सेना की नीली यूनीफार्म और आकाश में उड़ते लड़ाकू विमान बहुत आकर्षित करते थे। मैं इसी सेवा में जाना चाहता था, एनडीए की परीक्षा भी इसीलिए दी थी। अब यह सपना सच हो रहा है। देश के लिए कुछ करने का मौका मिल सकेगा।