
सुबह 6.30 बजे न्यायाधीश पहुंचे चौराहे पर, वाहन चालकों में हड़कम्प
विदिशा. बुधवार की सुबह 6.30 बजे ही मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सहित दो अन्य न्यायाधीश नीमताल चौराहे जा पहुंचे। पुलिस और यातायात का अमला भी आ गया। देखते ही देखते वाहनों की चैकिंग शुरू हो गई। खासकर स्कूली वाहनों में अधिक बच्चे बैठाने वालों पर कार्रवाई शुरू हुई। यह खबर जल्दी ही शहर में फैल गई और कई ऑटो चालक बच्चों को लिए बिना ही घर लौट गए। बच्चे स्कूल के लिए तैयार बैठे रहे, बाद में पालकों ने आनन-फानन में उन्हें स्कूल पहुंचाया।
मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रतिष्ठा अवस्थी, न्यायाधीश नीरज प्रजापति और कृष्णा अग्रवाल न्यायालय की टीम के साथ नीमताल जा पहुंचे। यहां कोतवाली और ट्रेफिक की टीम को भी बुलवा लिया गया। इसके बाद चैकिंग शुरू हुई। वहां से निकलने वाले हर स्कूली वाहन को रोककर उसमें बच्चों की संख्या और वाहन के दस्तावेजों को चेक किया गया। कई वाहन चालक दस्तावेज नहीं दिखा सके तो उन्हें जुर्माना भरना पड़ा। यही स्थिति दुर्गानगर चौराहे पर रही, यहां सिविल लाइन पुलिस भी आ पहुंची थी। स्कूली वाहनों समेत अन्य वाहनों, वेन, जीप, बसों को भी रोककर चेक किया गया और कार्रवाई की गई।
मजिस्ट्रेट चेकिंग की खबर सारे आटो चालकों में तेजी से फैल गई और आटो चालकों ने या तो रास्ते बदलकर गलियों की राह पकड़ ली, या फिर बच्चों को लेकर ही नहीं आए। जब बच्चों के पालकों ने ऑटो चालकों को फोन लगाना शुरू किए तो किसी ने उन्हें मजिस्ट्रेट चेकिंग तो किसी ने ऑटो चालकों की हड़ताल के बारे में बताकर अपने बच्चों को खुद ही स्कूल छोड़ आने को कहा। दुर्गानगर चौराहे पर सब इंस्पेक्टर वीरेन्द्र सेन ने न्यायाधीशों की उपस्थिति में वाहनों के चालान किए।
न्यायाधीशों ने बताया कि बच्चों की सुरक्षा के मद्देनजर उच्च न्यायालय के निर्देशों के पालन में यह चेकिंग की जा रही है। अधिक संख्या में बच्चों को बैठाना और अनफिट वाहनों सहित बिना दस्तावेजों के वाहन चलाना अपराध है। बच्चों की सुरक्षा सर्वोपरि है। पालकों को भी इस ओर ध्यान देना होगा कि उनके बच्चे सुरक्षित वाहन में जा रहे हैं अथवा नहीं।
Published on:
01 Aug 2018 12:51 pm
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