सुबह 10 बजे से ही कांग्रेस नेताओं के साथ ही जतरापुरा, राजपूत कॉलोनी, राघवजी कॉलोनी, नगतला बगीचा और जयगुरुदेव कॉलोनी सहित शहर के विभिन्न क्षेत्रों के शौचालय विहीन लोग हाथों में लोटा और डिब्बा लेकर पहुंचे। जहां परिसर में जमीन पर बैठकर शासन और प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की गई।
नागरिकों का कहना था कि उनके घर में शौचालय नहीं हैं और वे खुले में शौच जाने को मजबूर हैं। कुछ का कहना था कि नगरपालिका में आवेदन करने के बावजूद उन्हें शौचालय बनवाने के लिए राशि नहीं मिली है और प्रशासन ने जिले को ओडीएफ घोषित कर दिया। करीब करीब दो घंटे तक कलेक्ट्रेट परिसर में प्रदर्शन चलता रहा। प्रदर्शन के दौरान शहर के विभिन्न क्षेत्रों से आए शौचालय विहीन करीब ५०० लोगों ने आवेदन भरकर प्रशासन को शौचालय बनवाने के लिए सौंपे।
नहीं रखे ट्रांसफार्मर
भार्गव ने कहा कि करीब एक माह पूर्व विद्युत वितरण कंपनी के दफ्तर के सामने ग्रामीण क्षेत्रों में ट्रांसफार्मर रखवाने की मांग सहित नागरिकों की विद्युत संबंधी अन्य समस्याओं के लिए प्रदर्शन किया गया था। इस दौरान कंपनी के आला अधिकारियों ने एक पखवाड़े में समस्या का हल करने का आश्वासन दिया था, लेकिन अब तक पौने दौसो बंद ट्रांसफार्मर में से मात्र नौ ट्रांसफार्मर ही बदलाए हैं। जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में नागरिक परेशान हो रहे हैं। वहीं कंपनी द्वारा दिए जा रहे मनमाने बिल से भी नागरिक परेशान हो रहे हैं। इसलिए इस समस्या का भी जल्द निराकरण किया जाए। वहीं शहर सहित ग्रामीण क्षेत्रों की पानी की समस्या को भी उठाया गया। वहीं जतरापुरा की सरकारी भूमि से गरीबों को हटाए जाने का भी विरोध किया गया।
वहीं इस दौरान कुछ नागरिकों ने बीपीएल सूची में नाम जुड़वाने, तो कुछ ने मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकान दिलवाए जाने की मांग की। इस दौरान प्रमुख रूप से कांग्रेस के पूर्व प्रदेश सचिव शशांक भार्गव, ब्लॉक कांग्रेस कमेटी ग्रामीण अध्यक्ष दीवान किरार, ब्लॉक अध्यक्ष वीरेंद्र पीतलिया, रतनसिंह यादव, रमेश तिवारी, बसंत पीतलिया, महेंद्र यादव, प्रियंका किरार, अनुज लोधी, रईश अहमद कुरेशी, डालचंद अहिरवार, नवनीत कुशवाह, राजू अवस्थी और अजय कटारे आदि मौजूद रहे।
दोषी अधिकारियों पर हो कार्रवाई
ज्ञापन में कहा गया कि शहर में ही अभी सैकड़ों लोग शौचालय नहीं होने से खुले में शौच जाने को मजबूर हैं। जबकि प्रशासन ने वाहवाही लूटने ओडीएफ घोषित कर दिया है। इसलिए जिस नेता के दबाव में प्रशासन के अधिकारियों ने जिले को ओडीएफ घोषित किया है उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए। ओडीएफ घोषित करने से शौचालय विहीन नागरिकों को अनुदान की राशि से वंचित रह जाएंगे। भार्गव ने इस दौरान कहा कि जिले कि १४ पंचायतों में आज भी एक भी शौचालय नहीं हैं।