scriptबेतवा बिरादरी के श्रमवीरों कहानी, लेडी कलेक्टर का अभियान 17 साल बाद भी अनवरत | Story of Betwa fraternity who continued the campaign of Lady Collector | Patrika News

बेतवा बिरादरी के श्रमवीरों कहानी, लेडी कलेक्टर का अभियान 17 साल बाद भी अनवरत

locationविदिशाPublished: Jun 05, 2020 05:24:52 pm

World Environment Day

दृढ़ इच्छाशक्ति, अनुशासन व निरंतरता से बेतवा का आंचल स्वच्छ
सुबह सवेरे स्वतःस्फूर्त तरीके से बेतवा बिरादरी के लोग पहुंच जाते सफाई करने घाटों की

बेतवा बिरादरी के श्रमनीरों की कहानी, महिला कलेक्टर का अभियान 17 साल बाद भी अनवरत

बेतवा बिरादरी के श्रमनीरों की कहानी, महिला कलेक्टर का अभियान 17 साल बाद भी अनवरत

विदिशा। करीब 17 साल पहले की बात है। मध्य प्रदेश की बेतवा नदी (Betwa river)गर्मी आते ही सूखकर सपाट हो जाती थी। नदियों के सूखने की कहानी तो सभी बयां करते थे लेकिन उसे बचाने की पहल करने की कोई कोशिश नहीं करता। उसी दौर की बात है विदिशा जिले में कलेक्टर का कार्यभार संभाल रही सुधा चौधरी तक बेतवा की दुर्दशा की कहानी पहुंची। कलेक्टर ने सरकारी बंदोबस्त करने की बजाय एक ऐसी राह चुनना तय किया जो अब बेतवा नदी के इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण तारीख के रुप में दर्ज है।
दरअसल, तत्कालीन कलेक्टर सुधा चौधरी के नेतृत्व में बेतवा नदी की सफाई का अभियान चलाया गया। यह अभियान श्रमदान के तहत किया गया। कलेक्टर रहते हुए उन्होंने लगातार लोगों को जोड़ा और कुछ ही महीनों में बेतवा नदी में स्वच्छ पानी देखने को मिलने लगा। नदी पानी से लबालब हो गई। इस श्रमदान अभियान के बाद यह कारंवा रुका नहीं बल्कि बढ़ता ही गया।
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बेतवा बिरादरी अब प्रतिदिन बुहारती है मां का आंचल

यहां की प्रमुख नदी बेतवा को बचाने के लिए कलेक्टर सुधा चौधरी के जाने के बाद भी लोगों ने अभियान जारी रखा। बेतवा के तट पर हर रोज साफ-सफाई करने वाले वालंटियर्स अब स्वेच्छा से आते रहे। नदी तट पर पसरी गंदगी को साफ करने के अलावा नदी की स्वच्छता पर भी विशेष काम करते। समय के साथ इन श्रमवीरों को बेतवा बिरादरी के नाम से जाना जाने लगा। अभियान को शुरू करने वाली सुधा चैधरी सेवानिवृत्त हो चुकी हैं लेकिन सत्रह साल बाद भी यह अभियान बेतवा बिरादरी ने संभाल रखा है। मौसम कैसा भी क्यों न हो लेकिन 20-25 लोगों की एक टीम हमेशा ही सुबह-सवेरे नदी घाटों पर पहुंच उसकी साफ-सफाई की कमान संभाल लेते हैं।
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बेतवा बिरादरी के ये लोग बिला नागा नदी घाट पर पहुंचते

सुबह सवेरे नदी घाट पर पहुंचने वालों में शामिल लोगों को लोग बेतवा बिरादरी के नाम से ही जानने लगे हैं। यहां रहने वाले नीलकंठ पंडित, सुधाकर मुले, जगन्नाथ गोहिया, छोटेलाल कुशवाह, अतुल शाह, हितेंद्र रघुवंशी, पूरन कुशवाह, मनोज पांडेय, सोहेल अहमद, संतोष गुप्ता, लक्ष्मीबाई, कलाबाई, वृंदाबाई, संजय प्रधान, रत्नेश सोनी, राकेश करईवाले, केएन गुप्ता, संतोष विश्वकर्मा, मुन्नालाल तिवारी, सौरभ पटवा, परवेज हसन, इस्माइल खान, नरोत्तम मिश्र, मनोज विश्वकर्मा आदि शामिल हैं।
तमाम बड़ी हस्तियां हौसला आफजाई कर चुकी हैं

बेतवा बिरादरी के काम की तारीफ गांधीवादी विचारक एसएन सुब्बाराव भाईजी, जलपुरुष राजेंद्र सिंह, विचारक केएन गोविंदाचार्य, नोबल विजेता कैलाश सत्यार्थी कर चुके हैं।

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