Read this also: बंजर जमीन पर हरे-भरे पेड़ पौधे दे रहे जुनून की गवाही, पानी खरीदकर भी पौधों को सींचने से नहीं संकोच बेतवा बिरादरी अब प्रतिदिन बुहारती है मां का आंचल यहां की प्रमुख नदी बेतवा को बचाने के लिए कलेक्टर सुधा चौधरी के जाने के बाद भी लोगों ने अभियान जारी रखा। बेतवा के तट पर हर रोज साफ-सफाई करने वाले वालंटियर्स अब स्वेच्छा से आते रहे। नदी तट पर पसरी गंदगी को साफ करने के अलावा नदी की स्वच्छता पर भी विशेष काम करते। समय के साथ इन श्रमवीरों को बेतवा बिरादरी के नाम से जाना जाने लगा। अभियान को शुरू करने वाली सुधा चैधरी सेवानिवृत्त हो चुकी हैं लेकिन सत्रह साल बाद भी यह अभियान बेतवा बिरादरी ने संभाल रखा है। मौसम कैसा भी क्यों न हो लेकिन 20-25 लोगों की एक टीम हमेशा ही सुबह-सवेरे नदी घाटों पर पहुंच उसकी साफ-सफाई की कमान संभाल लेते हैं।
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बेतवा बिरादरी के ये लोग बिला नागा नदी घाट पर पहुंचते सुबह सवेरे नदी घाट पर पहुंचने वालों में शामिल लोगों को लोग बेतवा बिरादरी के नाम से ही जानने लगे हैं। यहां रहने वाले नीलकंठ पंडित, सुधाकर मुले, जगन्नाथ गोहिया, छोटेलाल कुशवाह, अतुल शाह, हितेंद्र रघुवंशी, पूरन कुशवाह, मनोज पांडेय, सोहेल अहमद, संतोष गुप्ता, लक्ष्मीबाई, कलाबाई, वृंदाबाई, संजय प्रधान, रत्नेश सोनी, राकेश करईवाले, केएन गुप्ता, संतोष विश्वकर्मा, मुन्नालाल तिवारी, सौरभ पटवा, परवेज हसन, इस्माइल खान, नरोत्तम मिश्र, मनोज विश्वकर्मा आदि शामिल हैं।
तमाम बड़ी हस्तियां हौसला आफजाई कर चुकी हैं बेतवा बिरादरी के काम की तारीफ गांधीवादी विचारक एसएन सुब्बाराव भाईजी, जलपुरुष राजेंद्र सिंह, विचारक केएन गोविंदाचार्य, नोबल विजेता कैलाश सत्यार्थी कर चुके हैं।
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