कृष्णा गुजरात के गिर का देसी सांड था। लिहाज़ा ब्राज़ील की ज़्यादातर गायें गिर प्रजाति की ही हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि ब्राज़ील की गिर गायों की चर्चाएं न सिर्फ भारत और ब्राज़ील में ही हैं, बल्कि दुनिया के कई कोनों में भारत की इन प्रजाति की गायों की चर्चाएं होती हैं। ब्राज़ील के एक डेयरी फार्म में एक आखिरी गाय बची है, जो बच्चे को जन्म देने वाली है और उसका रिश्ता भारत से जुड़ा हुआ है। इस गाय का नाम इल्हाबेला है, जो अब कुछ ही दिनों में बच्चे को जन्म देगी।
एक अंग्रेज़ी वेबसाइट के मुताबिक मेनास रिसर्च इंस्टिट्यूट ऑफ ब्राज़ील में गायों की ब्रीडिंग के लिए जेनेटिक तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है। यहां वैज्ञानिक विट्रो फर्टिलाइजेशन तकनीक की मदद से गिर गायों के भ्रूण को विकसित करते हैं, जिनसे जन्म लेनी वाली गायें बीस साल तक दूध देती हैं। खास बात ये है कि ब्राज़ील का मौसम भी इन गायों के लिए काफी बढ़िया है। ब्राज़ील में बढ़ रहे दूध कारोबार का काफी श्रेय भारत की इस देसी प्रजाति की गायों को भी जाता है। एक हिंदी वेबसाइट की मानें तो ये गायें एक दिन में 60 लीटर तक दूध देती हैं।