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ट्रेन पर बनी पीली-लाल लाइंस का मतलब जान लें, सफर के दौरान आएंगी काम

लोगों की मदद के लिए होती हैं ये लाइंस

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नई दिल्ली: हम जब कई सफर पर जाते हैं तो अपनी गाड़ी, बस, रेल या फिर प्लेन का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन माना जाता है कि लोग रेल से ज्यादा सफर करते हैं। हालांकि, कई लोग इसमें सफर करके खुश होते हैं तो कई लोग कमी भी निकालते हैं। लेकिन इन सबके बीच क्या आपने कभी ये ध्यान दिया है कि रेल कोच के आखिरी में पीले, लाल, नीले या फिर अन्य रंग की धारियां क्यों होती हैं?

इसलिए होती हैं ये धारियां

16 अप्रैल 1853 को भारत देश में रेलवे ने अपनी सेवा शुरू की थी, लकिन साल 1951 में भारतीय रेलवे को नेशनलाइज्ड किया गया था। वहीं ट्रेनों में कई ऐसे साइन कोड हैं, जिन्हें हम सब देखते तो हैं, लेकिन शायद उनका मतलब नहीं समझ पाते। वहीं आपने देखा होगा कि नीले रंग के कोच के आखिर मे खिड़की के ठीक ऊपर पील या फिर सफेद रंग की धारियां होती है। दरअसल, ये यात्रियों की सुविधा के लिए बनाई जाती हैं। ये धारियां बताती हैं कि ये कोच द्वितीय श्रेणी यानि जनरल डिब्बा है।

ये धारियां भी आती हैं काम

वहीं आपने नीले या लाल रंग के कोच पर पीले रंग की मोटी धारियां भी देखी होंगी। दरअसल, इनसे पता चलता है कि ये कोच विकलांग और बीमार लोगों के लिए है। ऐसे ही आपने देखा होगा कि लोकल ट्रेन में ग्रे पर लाल कलर की लाइंस होती हैं, जो बताती हैं कि कोच फर्स्ट क्लास टिकट खरीदने वालों केलिए ये है। ऐसे में हम कई बार रेल के सफर के दौरान इन चीजों को ढूंढते हैं, लेकिन हमें पूरी जानकारी न होने के कारण ये चीजें सामने होते हुए भी हम नहीं देख पाते।