भीलवाड़ा। नई अफीम नीति के देरी से घोषित होने से किसानों पर दोहरी मार पड़ी है। समय पर पट्टे नहीं मिलने से कईयों को दोबारा बुवाई करनी पड़ रही है। इधर, भीलवाड़ा डिवीजन में शामिल भीलवाड़ा व चित्तौड़गढ़ जिले की छह तहसील के 6679 किसानों को फिलहाल पट्टे जारी हो चुके है।
जिला अफीम अधिकारी आरके रजक ने बताया नई अफीम नीति इस बार 29 अक्टूबर को जारी हुई। इसी कारण अफीम के पट्टे की प्रक्रिया भी आंशिक रूप से देरी से शुरू हुई। जिला अफीम विभाग भीलवाड़ा जिले की चार व चित्तौड़गढ़ जिले की दो तहसील के कुल 5423 काश्तकारों को चिराई श्रेणी के पट्टे जारी कर चुका है। गत वर्ष के मुकाबले इस बार सीपीएस श्रेणी (बिना चिराई ) के 28 काश्तकार के कम हुए है। जबकि छह काश्तकार बिना चिराई की श्रेणी से चिराई की श्रेणी में शामिल किए गए है।
तीन सौ नए पट्टे बढ़ने की संभावना
उन्होंने बताया कि गत वर्ष सीपीएस पद्ति के तहत 1077 पट्टे जारी किए गए थे। औसत कम होने के कारण इसी श्रेणी में 93 पट्टे कम हुए है। जबकि नई नीति के कारण करीब तीन सौ पट्टे और बढ़ने की संभावना है। दोनों ही श्रेणी में विभाग अभी तक पात्रता के आधार पर 6679 किसानों को पट्टे जारी कर चुका है।
छह काश्तकारों की औसत नब्बे पार
डिवीजन के रावतभाटा के खाती खेड़ा के छह काश्तकार ऐसे है, जिनकी समूचे संभाग में गत वर्ष अफीम की औसत उपज 90 डिग्री से अधिक रही है। यह काश्तकार गत वर्ष सीपीएस की श्रेणी में थे, लेकिन नई अफीम नीति में आए बदलाव का फायदा इन्हे मिला और यह इस साल इनकी श्रेणी चिराई की श्रेणी में आगई।
पट्टे जारी करने में हुई देरी
अफीम नीति अमूमन 15 अक्टूबर तक अफीम की बुवाई शुरू हो जाती है, लेकिन इस साल नई अफीम नीति करीब एक माह देरी से 29 अक्टूबर तक जारी हुई, ऐसे में भीलवाड़ा डिवीजन में अफीम की बुवाई इस बार नवम्बर के प्रथम सप्ताह शुरू हो सकी है।
फसल वर्ष 2024-25 में अफीम नीति देरी होने की वजह से बहुत से किसानों को अब तक बुवाई करनी पड़ रही है और बहुत से किसानों को ई दोबारा बुवाई करनी पड़ रही। जिससे किसानों पर दोहरी मार पड़ी है। आर्थिक नुकसान होने के साथ ही आने वाले समय में अफीम उत्पादन व सी पीएस वाले अफीम किसानों का डोडा का चूरा है, उनके उत्पादन में कमी आएगी। भारत सरकार से मांग करते है कि किसान हित को ध्यान में रखते हुए अफीम किसानों को आने वाले वर्ष में इसकी विशेष छूट दी जाए, और जो भी छपी लिस्ट है उसके अनुसार किसानों के पट्टे जारी हो।
ऑनलाइन होने के बाद भी नहीं दिए गए और वर्ष 1995-96 और 97 तक लिए वह भी 25 की औसत पर जारी किया गया, वह वर्ष 93, 94 व 94_95 के अफीम लाइसेंस भी ऑनलाइन थे, इन को जारी नहीं किया गया। इसका अफीम किसान संघर्ष समिति भारतीय किसान संघ राजस्थान प्रदेश इसका विरोध करता है। मांग है कि इनको शून्य औसत वह छपी लिस्ट के आधार पर जब भी पॉलिसी जारी हो।
– बद्रीलाल तेली, प्रांत अध्यक्ष, अफीम किसान संघर्ष समिति एवं भारतीय किसान संघ राजस्थान