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42 सालों तक इस स्टेशन पर नहीं रुकी कोई ट्रेन, शाम ढलने के बाद आज भी नहीं जाता कोई

Published: Apr 05, 2022 06:04:36 pm

Submitted by:

Archana Keshri

भारत समेत दुनिया में अनेक ऐसे स्थान हैं, जो अपने आपने में अनेक रहस्य समेटे हुए हैं। इन स्थानों को भूतिया भी कहा जाता है, जिसकी वजह से वहां पर जाने से हर कोई परहेज करता है।

42 सालों तक इस स्टेशन पर नहीं रुकी कोई ट्रेन, शाम ढलने के बाद आज भी नहीं जाता कोई

42 सालों तक इस स्टेशन पर नहीं रुकी कोई ट्रेन, शाम ढलने के बाद आज भी नहीं जाता कोई

दुनिया में कई ऐसी जगहें है जो अजब-गजब कारण से चर्चा में रहती है। आज हम आपको भारत के ऐसा रेलवे स्टेशन की कहानी बताने जा रहे हैं जो भूतों के डर से कई सालों तक बंद रहा। यह रेलवे स्टेशन पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले में है, जिसका नाम है बेगुनकोडोर रेलवे स्टेशन। 1960 में खुला यह स्टेशन भूतों को देखने की खबरों के बाद सुनसान हो गया था, हालांकि 2009 में तत्कालीन रेलमंत्री ममता बनर्जी ने दोबारा इस स्टेशन को खुलवाया।
इस रेलवे स्टेशन पर 42 सालों तक कोई ट्रेन नहीं रुकी। कई लोगों ने इस रेलवे स्टेशन पर भूत देखने का दावा भी किया था। यह भी कहा जाता है कि यहां एक स्टेशन मास्टर ने सफेद साड़ी में एक महिला भूत को देख लिया था, जिसके बाद उसकी जान चली गई थी। इस रेलवे स्टेशन का इतना खौफ है कि यहां जाने से सिर्फ आम लोग ही नहीं बल्कि प्रशासन भी डरता था।
उस समय यह भी दावा किया गया था कि उस महिला की मौत उसी स्टेशन पर ट्रेन दुर्घटना में हुई थी। स्टेशन मास्टर की मौत के बाद उनका पूरा परिवार भी रेलवे क्वार्टर में मृत पाया गया था। इसके बाद लोगों ने कहा था कि स्टेशन मास्टर के परिवार के लोगों की मौत के पीछे उसी महिला भूत का हाथ है। लोगों का मानना था कि शाम ढलने के बाद कोई ट्रेन जब वहां से गुजरती थी तो वह महिला भूत ट्रेन के साथ दौड़ने लगती थी।
कई लोगों ने महिला भूत को ट्रेन के साथ-साथ दौड़ते लगता था। कभी-कभी तो महिला का भूत ट्रेन से भी तेज दौड़कर आगे निकल जाता था। वहीं कई बार भूत को ट्रेन के आगे पटरियों पर भी नाचते हुए देखे जाने का दावा किया जा रहा था।

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कहा जाता है कि उस वक्त जब भी कोई ट्रेन इस स्टेशन से गुजरती थी तो लोको पायलट स्टेशन आने से पहले ही ट्रेन की गति बढ़ा देते थे। जिससे वे जल्द से जल्द इस स्टेशन को पार कर सकें। यहां तक कि ट्रेन में बैठे लोग स्टेशन आने से पहले ही खिड़की-दरवाजे सब बंद कर लेते थे। जब स्टेशन गुजर जाता था तो उनकी जान में जान आती थी।
हालांकि, साल 2009 में गांववालों के कहने पर तत्कालीन रेल मंत्री ममता बनर्जी ने एक बार फिर इस स्टेशन को खुलवाया। लेकिन अभी भी लोग सूरज ढलने के बाद स्टेशन पर नहीं रुकते हैं। फिलहाल यहां करीब 10 ट्रेनें रुकती हैं।

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