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यहां पुलिस में भर्ती होने के लिए लड़कियों को देना पड़ता है अपनी इस निजी बात का सबूत, सिर्फ पुरुष करते हैं चेक!

यहां जज उन्हीं लड़कियों को चुनते हैं जो बेहद सुंदर हों। बता दें कि, इंडोनेशिया में आज़ादी के बाद यहां 1946 में पुलिस फोर्स का गठन किया।

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यहां पुलिस में भर्ती होने के लिए लड़कियों को देना पड़ता है अपनी इस निजी बात का सबूत, सिर्फ पुरुष करते हैं चेक!

नई दिल्ली। इंडोनेशिया में एक महिलाओं का पुलिस बनना आसान नहीं है। महिला उम्मीदवारों के लिए किसी भी महिला की 17.5 से 22 वर्ष की आयु, शादी नहीं होने और उच्च शिक्षा पूरा करना शामिल है। यहां औरतों को पुलिस में भर्ती होने हेतु ये साबित करना होता है कि वो वर्जिन हैं। यहीं नहीं, उनकी वर्जिनिटी चेक हेतु उनका टेस्‍ट भी होता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि, यहां वर्जिनिटी टेस्ट में महिलाओं को वो टेस्ट पास करना होता है जो बलात्कार के बाद लड़कियों का किया जाता है। इस टेस्ट का नाम टू फिंगर टेस्ट से होता है। बता दें कि, इसके साथ ही पुलिस में भर्ती होने के लिए महिलाओं को एक सलेक्शन कमिटी के सामने अपनी सुंदरता का प्रदर्शन भी करना पड़ता है। इन सब बातों में एक हैरान कर देने वाली बात यह है कि, सलेक्शन कमिटी में कोई औरत नहीं होती सारे पुरुष होते हैं। यहां जज उन्हीं लड़कियों को चुनते हैं जो बेहद सुंदर हों। बता दें कि, इंडोनेशिया में आज़ादी के बाद यहां 1946 में पुलिस फोर्स का गठन किया।

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क्या होता है टू फिंगर टेस्ट?

यह टू फिंगर टेस्ट देश में प्रचलित टीएफटी से बलात्कार पीड़ित महिला की वजाइना के लचीलेपन की जांच की जाती है। अंदर प्रवेश की गई उंगलियों की संख्या से डॉक्टर अपनी राय देता है कि 'महिला सक्रिय सेक्स लाइफ' में है या नहीं। भारत में ऐसा कोई कानून नहीं है, जो डॉक्टरों को ऐसा करने के लिए कहता है। इंडोनेशिया में जिस महिला को पुलिस में भर्ती होने का मन होता है उसे भर्ती होने तक कुंवारेपन का पालन करना अनिवार्य है। बता दें कि, कौमार्य परीक्षण एक बहुत ही विवादास्पद जांच है। एमनेस्टी इंटरनेशनल द्वारा यह अपमानजनक और मानव अधिकारों का उल्लंघन माना गया है। कई देशों में यह अवैध घोषित है।

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