21 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

आखिरकार इंसान के हाथ लग ही गई पांडवों की बनाई हुई स्वर्ग की सीढ़ियां, यहां है मौजूद

ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर में ही पांडवों ने स्‍वर्ग जाने की सीढियां बनवाई थीं।

3 min read
Google source verification

image

Arijita Sen

Aug 27, 2018

stairs to go to heaven

आखिरकार इंसान के हाथ लग ही गई पांडवों की बनाई हुई स्वर्ग की सीढ़ियां, यहां है मौजूद

नई दिल्ली। हमारे देश में कई सारे मंदिर हैं। देश के पूर्वी प्रान्त से लेकर दक्षिण तक कई सारे मंदिर हैं। इनमें कुछ नई बनाई गई हैं तो वहीं कुछ ऐसे भी मंदिर हैं जिनका इतिहास हजारों साल पुराना है। आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताएंगे जो महज एक मंदिर नहीं बल्कि एक पर्यटन स्थल भी है और सबसे खास बात तो यह है कि इस मंदिर का इतिहास एक,दो या 50 वर्ष पुराना नहीं बल्कि 5 हजार साल पुराना है।

महाभारत काल से जुड़ी यह मंदिर हिमाचल प्रदेश में स्थित है। हजारों साल पुरानी इस मंदिर से पांडवों की कई सारी बातें जुड़ी हुई हैं। हम सभी यह बात जानते हैं कि महाभारत के युद्ध के बाद पांडवों ने स्वर्ग की यात्रा की थी। स्वर्ग तक पहुंचने के लिए उन्होंने एक लंबी सीढ़ी का निर्माण भी किया था। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर में ही पांडवों ने स्‍वर्ग जाने की सीढियां बनवाई थीं।

बता दें, इस मंदिर को बाथू की लड़ी के नाम से जाना जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस मंदिर के निर्माण में जिन पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है उन्हें बाथू का पत्थर कहा जाता है और लड़ी इसलिए क्योंकि यहां कुल आठ मंदिर हैं, जिन्हें दूर से देखने पर एक माला में पिरोए हुए प्रतीत होते हैं।

अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने यहां पर स्‍वर्ग जाने के लिए सीढियों को बनाने का निश्‍चय किया था। हालांकि इस काम को सोचना जितना आसान था करना उतना ही कठिन। पांडवों ने इस काम के लिए श्रीकृष्‍ण से मदद की गुहार लगाई। तब श्रीकृष्‍ण ने 6 महीने की एक रात कर दी, लेकिन बावजूद इसके स्वर्ग की सीढियां तैयार नहीं हो पाईं।

हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित ज्‍वाली कस्‍बे से तकरीबन आधा घंटे की दूरी पर स्थित भगवान शिव का यह प्राचीन मंदिर साल के आठ महीने तक पानी में ही डूबा रहता है।महज चार महीने के लिए ही यह लोगों को अच्छे से नजर आता है। वर्तमान समय में इस मंदिर में स्‍वर्ग की 40 सीढियां मौजूद हैं।

यहां भक्तों का आना-जाना लगा ही रहता है। खासकर शिवरात्रि या ऐसे ही किसी विशेष पर्व पर यहां खूब भीड़ होती है। यहां आने वाले श्रद्धालुओं का ऐसा मानना है कि यहां एकाग्रचित्त होकर भगवान से प्रार्थना करने पर वह भक्तों की हर इच्छा को अवश्य पूरी करते हैं।