
इस वजह से हिंदुओं में अंतिम संस्कार के समय शव के सिर पर डंडे से किया जाता है वार, सच्चाई कर देगी हैरान
नई दिल्ली। मौत जिंदगी का परम सत्य है। कोई इंसान कितना भी शक्तिशाली या बड़ा क्यों न हो, लेकिन इस सच से सामना हर किसी को अपने जीवनकाल में करना पड़ता है। इंसान की मृत्यु के बाद धर्म के अनुसार पारलौकिक क्रियाएं की जाती है ताकि आत्मा को सद्गति मिल सकें। इस्लाम धर्म में शव को दफना दिया जाता है, ईसाई धर्म में भी शव को दफनाने की प्रथा का पालन किया जाता है, हिन्दू धर्म में मौत के बाद शवदाह किया जाता है।
शास्त्रों में ऐसा कहा गया है कि आत्मा की शान्ति के लिए उसका अंतिम संस्कार करना बेहद महत्वपूर्ण होता है। दरअसल, अंतिम संस्कार इसलिए महत्वपूर्ण होता है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इसका असर जीव के अगले जीवन पर भी पड़ता है। इसी के चलते परिजन अंतिम संस्कार की क्रिया को काफी सावधानी से करते हैं। इस दौरान गलती की कोई गुंजाइश नहीं होती है। आज हम आपको हिंदू धर्म में अंतिम संस्कार के दौरान होने वाली एक प्रक्रिया के बारे में बताएंगे जिसे जानकर बेहद हैरानी होगी।
हम यहां कपाल क्रिया की बात कर रहे हैं। यह वह प्रक्रिया है जिसके बिना हिंदूओं में अंतिम संस्कार को अधूरा माना जाता है। कपालक्रिया में शव को मुखाग्नि देने के करीब आधे घंटे बाद एक बांस में लोटा बांधकर शव के सिर वाले हिस्से में और घी डाला जाता है।ऐसा इसलिए किया जाता है जिससे सिर पूरी तरह से जल जाए।सिर का कोई हिस्सा जलने से न बच जाए। इसे कपाल क्रिया कहते हैं। इसके लिए कभी-कभार तो सर पर वार करके उसे तोड़ा भी जाता है। इन सबके पीछे कारण बस यही है कि सिर पूरी तरह से जल जाए, अधजला न रहें।
मान्यता है कि अगर सिर या दिमाग का कोई हिस्सा जलने से रह जाए तो इंसान को अगले जन्म में पिछले जन्म की बातें याद रह जाती हैं।
मान लीजिए पिछले जन्म में यदि इंसान की मौत काफी दर्दनाक रही हो या कोई अन्य दुखद कारण हो तो नए जन्म में उसको याद रखने से इंसान का ध्यान भटकेगा।
इसके साथ ही इस सोच में उसका जीना दुश्वार हो जाएगा। इसी के चलते कपालक्रिया को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है।
हालांकि इस क्रिया को करना या देखना आसान नहीं है। इसके लिए साहस चाहिए होता है क्योंकि यह दृश्य वाकई में काफी भयानक और दर्दनाक होता है।
Published on:
18 Aug 2018 11:30 am
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