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यादें शेष : अटलजी ऐसे नेता थे, जिनका सम्मान विरोधी दल के नेता भी करते थे

उनके निधन से पूरे देश में शोक की लहर रही। अटलजी का उज्जैन से लगाव रहा। उन्होंने कई नेताओं को राजनीति में आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

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उज्जैन। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी अब हमारे बीच नहीं रहे। दिल्ली में शुक्रवार शाम 4.५९ बजे उनका अंतिम संस्कार हो गया। वे लंबे समय से बीमार थे। उनके निधन से पूरे देश में शोक की लहर रही। अटलजी का उज्जैन से लगाव रहा है। उन्होंने यहां के कई नेताओं को राजनीति में आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

उज्जैन से रहा बेहद लगाव
यह बात पूर्व महापौर एवं वरिष्ठ भाजपा नेता पं. राधेश्याम उपाध्याय ने कही। उनका कहना है कि अटलजी ऐसे नेता रहे, जिनका सम्मान विरोधी दल के नेता भी करते थे। उनका उज्जैन से शुरू से ही लगाव रहा।

माधव कॉलेज के कार्यक्रम में आए थे
वे जब भी उज्जैन आते तो उनसे मेरी मुलाकात होती। अटलजी लड्डू-बाफला और ठण्डाई के शौकीन थे। वे जब ग्वालियर में पढ़ाई करते थे उस समय उनसे पहचान हुई। माधव कॉलेज में आयोजित कार्यक्रम में वे अपने युवावस्था के दौरान आए थे। उनकी वाणी में जो आकर्षण था, वह बहुत कम नेताओं में दिखाई देता है। उन्होंने बड़े नेताओं से लेकर छोटे कार्यकर्ताओं को भी आगे बढ़ाने में रुचि ली और सभी से उनका प्रेम रहता था।

उनकी तुलना किसी से नहीं हो सकती
वरिष्ठ नेता एवं प्रदेश के पूर्व मंत्री बाबूलाल जैन ने कहा कि अटलजी राजनीति के क्षेत्र में ऐसी हस्ती थे, जिनकी तुलना किसी से नहीं की जा सकती। जब मैं 20 वर्ष और अटलजी 30 वर्ष के थे, उस दौरान उनसे मेरी मुलाकात हुई थी। वे तीन दिन तक रामनिवास लॉज स्थित मेरे रूम पर ही ठहरे थे।

अच्छे कवि, महान राजनीतिज्ञ थे अटलजी
उस दौरान मैं कॉलेज में पढ़ता था। कई बार तो वह घंटों तक संस्मरण सुनाते रहते थे। उन्होंने 1967 में उस समय के कांग्रेस के दिग्गज नेता प्रकाशचंद सेठी के सामने मुझे उज्जैन उत्तर से प्रत्याशी बनाया था। उसके बाद सेठी को उज्जैन उत्तर के अलावा महू विधानसभा क्षेत्र से भी चुनाव लडऩा पड़ा। वाकई अटलजी एक अच्छे कवि के अलावा महान राजनीतिज्ञ भी हैं।