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रहस्यों से भरा है नामीब रेगिस्तान, रात के अंधेरे में परियों के नाचने का होता है आभास

Namib Desert : नामीब रेगिस्तान दक्षिण-पश्चिमी अफ्रीका के अटलांटिक तट पर स्थित है कुछ लोगों के मुताबिक रेगिस्तान पर बने गोल घेरे देवताओं के पैरों के निशान हैं

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mysterious Namib Desert

नई दिल्ली। दुनिया में कई रहस्यमयी (mysterious place) जगह और चीजें हैं जिनकी गुत्थी को सुलझाना आसान नहीं है। इन्हीं में से एक है नामीब रेगिस्तान। यह दक्षिण-पश्चिमी अफ्रीका के अटलांटिक तट से लगा हुआ है। यह रेगिस्तान करीब पांच करोड़ 50 लाख साल पुराना माना जाता है। कहते हैं कि इस रेगिस्तान (dessert) में रात के अंधेरे में परियां नाचती हैं। तभी सुबह होते ही उनके पैरों के निशान नजर आते हैं।

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वहीं कुछ अन्य जानकारों के मुताबिक रेगिस्तान में दिखने वाले गोल घेरे भगवन के पैरों के निशान हैं। वहां रहने वाले हिम्बा समुदाय के लोगों का मानना है कि इन्हें आत्माओं ने बनाया है और ये उनके देवता मुकुरू के पैरों के निशान हैं। मालूम हो कि नामीब रेगिस्तान (Namib Desert) में लाखों गोलाकार आकृतियां बनी हुई हैं। जिसकी गुत्थी को आज तक कोई सुलझा नहीं पाया है। कई लोगों का मानना है कि ये निशान यूएफओ के उतरने से बने हैं।

यह रेगिस्तान मंगल ग्रह की सतह जैसा दिखता है। इसके भू-भाग पर रेत के टीले और ऊबड़-खाबड़ पहाड़ हैं। नामीब रेगिस्तान दक्षिणी अंगोला से नामीबिया होते हुए 2,000 किलोमीटर दूर दक्षिण अफ्रीका के उत्तरी हिस्से तक फैला है। नामीब रेगिस्तान का सबसे जानलेवा इलाका रेत के टीलों और टूटे हुए जहाजों के जंग खाए पतवारों से भरा हुआ है। इसके अलावा यहा व्हेल मछली के अनगिनत कंकाल पाए जाते हैं। इसलिए यह इलाका कंकाल तट के नाम से जाना जाता है।

वहां रहने वाले सैन लोगों का कहना है कि रेगिस्तान को ईश्वर ने गुस्से में बनाया है। तभी 1486 ईस्वी में पुर्तगाल के मशहूर नाविक डियागो काओ कुछ समय के लिए कंकाल तट पर रुके थे। उन्होंने वहां क्रॉस की स्थापना की, लेकिन कठिन परिस्थितियों के चलते वे वहां ज्यादा समय तक टिक नहीं पाए। तभी उन्होंने इस जगह को 'नरक का दरवाजा' नाम दिया था।