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इस मंदिर में होती है सिर्फ मेंढक की पूजा, तंत्रवाद के लिए है मशहूर

locationमुंबईPublished: Sep 29, 2020 10:14:09 pm

Submitted by:

Shaitan Prajapat

अपने देश में कई ऐसे प्राचीन मंदिर है जो दुनिया में मशहूर है। कुछ ऐसे मंदिर भी है जहां केवल जानवरों की पूजा की जाती है। यह पढ़कर आपको भले ही थोड़ा अजीब लगे, लेकिन यह बिल्कुल सच है। जी हां, आज आपको बताने जा रहे है देश के एक मात्र ऐसे मंदिर के बारे में जहां पर मेंढक की पूजा की जाती है।

Frog Temple

Frog Temple

अपने देश में कई ऐसे प्राचीन मंदिर है जो दुनिया में मशहूर है। देवी-देवताओं के अलावा यहां पर जानवरों की भी पूजा होती है। कुछ ऐसे मंदिर भी है जहां केवल जानवरों की पूजा की जाती है। यह पढ़कर आपको भले ही थोड़ा अजीब लगे, लेकिन यह बिल्कुल सच है। जी हां, आज आपको बताने जा रहे है देश के एक मात्र ऐसे मंदिर के बारे में जहां पर मेंढक की पूजा की जाती है। बताया जाता है कि यह मंदिर मांडूक तंत्र पर आधारित है। शिवजी मेंढक की पीठ पर विराजमान हैं। आइए जानते हैं इस मंदिर के बारे में खास बातें…

Frog Temple

महान तांत्रिक ने की थी वास्तु परिकल्पना
बताया जाता है कि यह देश में एक मात्र मेंढक मंदिर है जो उत्तरप्रदेश के लखीमपुर-खीरी जिले के ओयल कस्बें में स्तिथ है। यह मेंढक मंदिर करीब 200 साल पुराना है। मान्‍यता है कि सूखे और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदा से बचाव के लिए इस मंदिर का निर्माण कराया गया था। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि इस मंदिर की वास्तु परिकल्पना कपिला के एक महान तांत्रिक ने की थी। तंत्रवाद पर आधारित इस मंदिर की वास्तु संरचना अपनी विशेष शैली के कारण यह सभी को बहुत पसंद है।

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Frog Temple

हर किसी की मनोकामना होती है पूरी
बताया जाता है कि यह जगह ओयल शैव संप्रदाय का प्रमुख केंद्र था और यहां के शासक भगवान शिव के उपासक थे। इस कस्बे के बीच मंडूक यंत्र पर आधारित प्राचीन शिव मंदिर भी है। यह क्षेत्र ग्यारहवीं शताब्‍दी के बाद से 19वीं शताब्‍दी तक चाहमान शासकों के आधीन रहा। चाहमान वंश के राजा बख्श सिंह ने ही इस अद्भुत मंदिर का निर्माण कराया था। मंदिर की दीवारों पर तांत्रिक देवी-देवताओं के मूर्तियां लगी हुई हैं। मंदिर के अंदर भी कई विचित्र चित्र भी लगे हुए हैं। इस मंदिर में दीपावली और महाशिवरात्रि के मौके पर बड़ी संख्‍या में भक्त आते हैं। मान्यता है कि मंदिर में पूजा करने पर हर किसी की मनोकामना पूरी होती है और विशेष फलों की प्राप्ति होती है।

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