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Pakistan की पहली ट्रांसजेंडर वकील Nisha Rao, बनना चाहती हैं जज, कभी पेट पालने लिए मांगती थीं भीख

Published: Nov 27, 2020 04:27:43 pm

Submitted by:

Pratibha Tripathi

ट्रैफिक सिग्नल पर मांगती थीं भीख
भीख में मिले पैसों से पूरी की पढ़ाई

Pakistan's first transgender lawyer

Pakistan’s first transgender lawyer

नई दिल्ली। एक समय था जब ट्रांसजेंडर को समाज में हेय दृष्टि से देखा जाता था। लेकिन समय के साथ बदलाव हुआ और उन्हें समाज की मुख्य धारा से जुड़ने के अवसर प्रदान किए गए। शिक्षा से लेकर रोजगार और नौकरी में उन्हें बराबरी से मौका दिया जाने लगा। रूढ़ीवादी देश पाकिस्तान की पहली ट्रांसजेंडर जिनका नाम निशा राव है, वे वकालत के पेशे में आने के बाद अब जज बनने की तैयारी कर रही हैं। वर्तमान में निशा कराची की एक अदालत में वकालत कर रही हैं। वैसे 28 वर्षीय निशा के वकील बनने का सफर भी आसान नहीं रहा है वे काफी मुश्किल भरे हालात में भी हिम्मत नहीं हारीं, अपने उद्देश्य की प्राप्ति के लिए मेहनत करती रही हैं। निशा वकालत का पेशा अपनाने से पहले पेट भरने के लिए भीख मांगती थीं, लेकिन समाज के ताने और दूसरी बुराइयों को झेलते हुए उन्होंने वकालत की पाढ़ाई की और अंत में ‘काला कोट’ पहना, पर अब वे जज बनना चाहती हैं।

2018 में आया था कानून

एक इंटरव्यू के दौरान निशा ने बताया कि वकालत से आगे अब उनका लक्ष्य पाकिस्तान (Pakistan) की पहली ट्रांसजेंडर (Transgender) जज बनने का है। निशा ने कहा कि वे इसके लिए हर स्तर तक जाने को तैयार हैं। 2018 से पहले तक पाकिस्तान में ट्रांसजेंडरों को सामान्य अधिकार नहीं थे उन्हें समाज में हिकारत की नज़र से देखा जाता था लेकिन साल 2018 में पाकिस्तान के कानून में बदलाव हुआ इसके बाद ट्रांसजेंडरों से भेदभाव, करने या हिंसा के लिए सजा देने का प्रावधान हुआ है। पर हकीकत अभी भी काफी उलट है, उन्हें अज भी आम नागरिकों जैसे अधिकार नहीं मिले हैं।

छोड़ना पड़ा था घर

पाकिस्तान ऐसा देश है जहां ट्रांसजेंडर को समाज में निचले स्तर का माना जाता है। वे सड़कों पर भीख मांगकर या शादियों में नाचकर अपना गुजारा करते हैं। पर ऐसे माहौल में भी निशा राव पूरे समाज के लिए एक उदाहरण बन कर सामने आई हैं। निशा लाहौर के एक शिक्षित मध्यम-वर्गीय परिवार में जन्मीं पर जब वे 18 वर्ष की हुईं तब उन्हें एहसास हुआ कि वे समाज में अलग पैदा हुई हैं। उस समय उन्होंने अपना घर छोड़ दिया।

रूढ़ीवादी सोच को निशा ने दिखाई नई राह

निशा को समाज के वरिष्ठ लोगों ने जीवन यापन के लिए भीख मांगने की सलाह दी। घर से निकलने के बाद निशा राव को ना चाहते हुए भी शुरुआत में ट्रैफिक सिग्नल पर भीख मांग कर गुजारा करना पड़ा। भीख मांग कर निशा ने किसी तरह लॉ की पढ़ाई पूरी की।

50 केस लड़ चुकी हैं

किन्नर से एडवोकेट निशा बनने में उन्हें सालों कड़ी मेहनत करनी पड़ी। आखिर उनकी मेहनत रंग लाई और अब वे सड़कों पर भीख मागने के बजाय साल की शुरुआत से कोर्ट में बतौर वकील उन्हें प्रैक्टिस करने के लिए बाकायदे लाइसेंस मिल चुका है। एडवोकेट निशा ने अबतक 50 मामले लड़ चुकी हैं। इसके अलावा निशा एक एनजीओ जिसका नाम ट्रांस-राइट्स है उससे भी जुड़ कर ट्रांसजेंडर्स की भलाई के लिए काम कर रही हैं।

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