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इस गुफा के अंदर मौजूद है प्राकृतिक शिवलिंग, आज भी रहस्य बनी हुई हैं ये बातें

हम आपको भोलेनाथ की एक ऐसी गुफा के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसका रहस्य आजतक कोई नहीं जान सका।

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Vinay Saxena

Aug 09, 2018

lord shiva

इस गुफा के अंदर मौजूद है प्राकृतिक शिवलिंग, आज भी रहस्य बनी हुई हैं ये बातें

नई दिल्ली: सावन के महीने में हर कोई भगवान शिव की आराधना कर रहा है। देशभर के शिव मंदिरों में श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है। इस मौके पर हम आपको भोलेनाथ की एक ऐसी गुफा के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसका रहस्य आजतक कोई नहीं जान सका।

आज भी रहस्य बनी है गुप्तेश्वरनाथ महादेव की गुफा

हम बात कर रहे हैं बिहार के रोहतास जिले के गुप्तेश्वर धाम गुफा स्थित शिवलिंग की महिमा का। पौराणिक आख्यानों में वर्णित भगवान शंकर और भस्मासुर से जुड़ी कथा को जीवंत रखे हुए ऐतिहासिक गुप्तेश्वरनाथ महादेव का गुफा मंदिर आज भी रहस्यमय बना हुआ है। देवघर के बाबाधाम की तरह गुप्तेश्वरनाथ यानी 'गुप्ताधाम' श्रद्धालुओं में काफी लोकप्रिय है। यहां बक्सर से गंगाजल लेकर शिवलिंग पर चढ़ाने की परंपरा है।

प्राचीनता के बारे में नहीं उपलब्ध है कोई प्रामाणिक साक्ष्य


रोहतास में अवस्थित विंध्य श्रृंखला की कैमूर पहाड़ी के जंगलों से घिरे गुप्ताधाम गुफा की प्राचीनता के बारे में कोई प्रामाणिक साक्ष्य उपलब्ध नहीं है। इसकी बनावट को देखकर पुरातत्वविद अब तक यही तय नहीं कर पाए हैं कि यह गुफा मानव निर्मित है या प्राकृतिक।

गुफा के अंदर है 'पाताल गंगा'


गुफा में गहन अंधेरा होता है, बिना कृत्रिम प्रकाश के अंदर जाना संभव नहीं है। पहाड़ी पर स्थित इस पवित्र गुफा का द्वार 18 फीट चौड़ा और 12 फीट ऊंचा मेहराबनुमा है। गुफा में लगभग 363 फीट अंदर जाने पर बहुत बड़ा गड्ढा है, जिसमें साल भर पानी रहता है। श्रद्धालु इसे पाताल गंगा कहते हैं।

प्राकृतिक शिवलिंग पर टपकता रहता है पानी

गुफा के अंदर स्थापित प्राकृतिक शिवलिंग पर हमेशा ऊपर से पानी टपकता है। इस पानी को श्रद्धालु प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं। इस स्थान पर सावन के महीने के अलावा सरस्वती पूजा और महाशिवरात्रि के मौके पर मेला लगता है। कुछ किवदंतियों के अनुसार कैलाश पर्वत पर मां पार्वती के साथ विराजमान भगवान शिव ने जब भस्मासुर की तपस्या से खुश होकर उसे किसी के सिर पर हाथ रखते ही भस्म करने की शक्ति का वरदान दिया था। भस्मासुर मां पार्वती के सौंदर्य पर मोहित होकर शिव से मिले वरदान की परीक्षा लेने के लिए उन्हीं के सिर पर हाथ रखने के लिए दौड़ा। वहां से भागकर भोले यहां की गुफा के गुप्त स्थान में छुपे थे। भगवान विष्णु से शिव की यह विवशता देखी नहीं गई और उन्होंने मोहिनी रूप धारण कर भस्मासुर का नाश किया। उसके बाद गुफा के अंदर छुपे भोले बाहर निकले।