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दुनिया की पहली ई-बाइक, जो बिना बैटरी चलती है

20 किलो वजनी इस साइकिलनुमा बाइक 10 से 15 वर्ष चलती है, जबकि लिथियम बैटरी वाली साइकिल पांच से छह ही चलती है।

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दुनिया की पहली ई-बाइक, जो बिना बैटरी चलती है

20 किलो वजनी साइकिलनुमा बाइक 10 से 15 वर्ष चलती है।

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पेरिस. पेट्रोलियम ईंधन से होने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए बैटरी चलित वाहन तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं। अब फ्रांसिसी कंपनी एसटीईई ने ऐसी ई-बाइक तैयार की है, जो बिना बैटरी चलेगी। इसे उद्यमी एड्रियन लेलिवरे ने डिजाइन किया है। लेलिवर का तर्क है कि बैटरियों के उत्पादन में लिथियम और पृथ्वी के अन्य दुर्लभ तत्वों की काफी खपत होती है। साथ ही इनको निकालने के लिए खनन प्रक्रिया पर्यावरण को नुकसान पहुंचाती है। इसी लिए कंपनी ने लिथियम बैटरी की जगह सुपरकैपेसिटर से चलने वाली ई-बाइक बनाई है। लेलिवरे ने इस पाई पॉप ई-बाइक का डिजाइन पेटेंट करवाया है।

बैटरी और सुपरकैपेसिटर में अंतर
लिथियम बैटरी रासायनिक प्रतिक्रिया के रूप में ऊर्जा का भंडारण करती है, जबकि सुपरकैपेसिटर जरूरत पडऩे पर तेजी से ऊर्जा जमा कर सकती है। इसमें जब चालक पैडल चलाता है या ब्रेक लगाता है तो ऊर्जा जमा होती है। लेलिवेरे का कहना है कि यह बाइक 50 मीटर की ऊंचाई तक चलाई जाती है।

पहले भी हो चुका प्रयोग
सुपरकैपेसिटर वाहनों की अवधारणा नई नहीं है। इससे पहले 1970 के दशक में इसका निर्माण किया गया था। आज इनका उपयोग फोटोवोल्टिक प्रणालियों (जैसे सौर पैनल), डिजिटल कैमरे और कुछ हाइबिड या इलेक्ट्रिक वाहनों में इसका प्रयोग किया जाता है।

पर्यावरण के लिए बेहतर
सुपरकैपेसिटर कार्बन, कंडक्टिंग पॉलिमर, एल्युमिनियम फॉइल और लुग्दी से बने होते हैं। इन सभी सामग्रियों के लिए रिसायक्लिंग प्रक्रिया पहले ही मौजूद है। इसका एक फायदा यह है कि इसके चार्ज होने तक इंतजार नहीं करना पड़ता।

10 से 15 वर्ष चलती है
20 किलो वजनी इस साइकिलनुमा बाइक 10 से 15 वर्ष चलती है, जबकि लिथियम बैटरी वाली साइकिल पांच से छह ही चलती है। अभी कंपनी 100 पाईपॉप बाइक हर माह तैयार करती है। जबकि 2024 तक हर माह एक हजार बाइक उत्पादन करने का लक्ष्य है।