
Benefits of Breastfeeding: ब्रेस्टफीडिंग से सिर्फ नवजात का शारीरिक विकास ही नहीं होता बल्कि यह यह मां और बच्चे के बीच नेचुरल तरीके से भावनात्मक जुड़ाव बनाने के लिए भी बहुत जरूरी है। इस प्रक्रिया में पोषण के साथ साथ मां-बच्चे के बीच एक बॉन्डिंग बनाता है जो जीवन भर उन्हें एक दूसरे से जोड़ने में मददगार होता है। बच्चे को मनोवैज्ञानिक रूप से मजबूत बनाने में ये फायदेमंद है। यह बच्चे को हर तरह के तनाव से दूर रखने के साथ-साथ मानसिक शांति भी प्रदान करता है। आज हम इस लेख में आपको नवजात के बेहतर मानसिक विकास के लिए ब्रेस्टफीडिंग के महत्व के बारे में बताएंगे।
बच्चे को मिलती है शांति मां का दूध (ब्रेस्टफीड) नवजात के शारीरिक और भावनात्मक स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है। यह बच्चे को तुरंत शांत करने में भी मदद करता है। रिसर्च के अनुसार स्तनपान करने वाले बच्चे कम रोते हैं साथ ही उन्हें बचपन में होने वाली बीमारियां भी कम होती हैं।
तनाव रहता है दूर
अगर बच्चे किसी तरह की परेशानियों का सामना कर रहे हैं या किसी बीमारी की वजह से परेशान है तो ब्रेस्टफीड शरीर में तनाव प्रक्रिया को कम करने का काम करता है और बच्चे तुरंत रिलैक्स हो जाते हैं। स्तनपान कराने से मां के स्ट्रेस में भी कमी आती है और हृदय रोग और मधुमेह जैसी खतरनाक बीमारियों का खतरा भी कम होता है।
बच्चे की नींद होती है पूरी
स्तनपान का सबसे बड़ा मनोवैज्ञानिक फायदा है बच्चे को अच्छी नींद का आना। स्तनपान कराने से बच्चे गहरी नींद में सो पाते हैं। साथ ही मां को भी अच्छी नींद आती है।
बूस्ट होते हैं हार्मोन
स्तनपान कराने वाली मां के शरीर में प्रोलैक्टिन और ऑक्सीटोसिन हार्मोन बनाता है। ऑक्सीटोसिन एक शांतिपूर्ण, पोषणकारी एहसास पैदा करता है जो मां को आराम करने और अपने बच्चे पर ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है। मां-बच्चे के बीच प्यार और लगाव को मजबूत करता है।
शारीरिक और भावनात्मक जुड़ाव
स्तनपान, मां और बच्चे के बीच एक जुड़ाव का अनुभव पैदा करता है। इस दौरान मां अपने बच्चे के साथ स्किन टू स्किन टच, सहलाना आदि करती है।
संकेतों को समझना है आसान
फीड कराने वाली माताओं को अपने शिशु के संकेतों को समझने में भी मदद मिलती है, जिससे बच्चों की देखभाल बेहतर तरीके से हो पाती है और बच्चा लोगों पर भरोसा करना सीखता है।
डिसक्लेमरः इस लेख में दी गई जानकारी का उद्देश्य केवल रोगों और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के प्रति जागरूकता लाना है। यह किसी क्वालीफाइड मेडिकल ऑपिनियन का विकल्प नहीं है। इसलिए पाठकों को सलाह दी जाती है कि वह कोई भी दवा, उपचार या नुस्खे को अपनी मर्जी से ना आजमाएं बल्कि इस बारे में उस चिकित्सा पैथी से संबंधित एक्सपर्ट या डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें।
Published on:
07 Aug 2023 04:12 pm
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