महिलाओं से जुड़े मुद्दे हों या फिर पुरुषों के बाल और दाढ़ी कटवाने का या फिर मीडिया संस्थानों पर प्रतिबंध। इसके अलावा तालिबान ने अपनी क्रूरता की हदें भी पार करना शुरू कर दिया है। उसकी इन हरकतों से पूरी दुनिया में उसकी आलोचना और निंदा की जा रही है।
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तालिबान की तरफ से तमाम चीजों पर लगाए गए प्रतिबंधों का सामना कर रहा अफगानिस्तान का एकमात्र स्पोर्ट्स चैनल भी अब बंद हो गया है। मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि तालिबानी प्रतिबंधों के अलावा अफगानिस्तान की आर्थिक खस्ताहाली भी चैनल बंद होने की बड़ी वजह है। चैनल के प्रमुख शफीकउल्लाह सलीम पोया ने कहा कि चैनल का प्रसारण बंद करने की प्रमुख वजह मीडिया, खासकर 3-स्पोर्ट्स चैनल पर लगाया गया प्रतिबंध है। मीडिया सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक मोर्चो पर समस्याओं का सामना कर रहा है।
पायो ने कहा कि अफगानिस्तान के पत्रकार अपनी ड्यूटी के दौरान कई मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि कुछ हफ्ते पहले अफगानिस्तान के करीब 150 मीडिया हाउस बंद हो चुके हैं। इसकी प्रमुख वजह आर्थिक व राजनीतिक संकट रही।
आतंकी संगठन तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद उल जूलूल फैसले लेने का क्रम जारी है। उसके फैसलों का असर खेलों पर भी हो रहा है। वह पहले ही महिलाओं के खेलों में भाग लेने के खिलाफ है और अब उसने स्टेडियमों में महिला दर्शकों के आने के चलते अफगानिस्तान में इंडियन प्रीमियर लीग के प्रसारण पर भी प्रतिबंध लगा दिया।
तालिबान ने कहा कि आईपीएल मे इस्लाम विरोधी सामग्री का प्रदर्शन किया जाता है, इसलिए इस पर बैन है। उसे स्टेडियमों में महिला दर्शकों के आने पर ही आपत्ति है। हाल ही में अफगानिस्तान में मीडिया की स्वतंत्रता पर कुछ और पाबंदियां लगाते हुए तालिबान ने पत्रकार संगठनों के लिए 11 नियमों का ऐलान किया था। इन नियमों के तहत इस्लाम के खिलाफ किसी सामग्री के प्रकाशन पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। राष्ट्रीय हस्तियों के प्रति अपमानजनक सामग्री का प्रकाशन भी प्रतिबंधित कर दिया गया है। पत्रकारों से कहा गया है कि वे अपनी रिपोर्टो की जानकारी सरकारी मीडिया दफ्तर को दें।
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यही नहीं तालिबान ने निजी टीवी चैनलों पर दिखाए जा रहे कंटेंट में बदलाव भी किया गया है। महत्वपूर्ण समाचार बुलेटिन, राजनीतिक बहस, मनोरंजन और संगीत कार्यक्रमों और विदेशी नाटकों को तालिबान सरकार के अनुरूप कार्यक्रमों से बदल दिया गया है। इस बीच, कमिटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स (सीपीजे) ने तालिबान से अफगानिस्तान में पत्रकारों को हिरासत में लेना तुरंत बंद करने और मीडिया को प्रतिशोध के डर के बिना स्वतंत्र रूप से काम करने की अनुमति देने को कहा है।