
kulbhushan jadhav
Kulbhushan Jadhav: ईरान से भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी कुलभूषण जाधव (Kulbhushan Jadhav) का अपहरण करने (abduction)के मामले में पाकिस्तान (Pakistan) की आईएसआई जासूसी एजेंसी की मदद करने के आरोपी पाकिस्तानी "विद्वान" को शुक्रवार रात बलूचिस्तान (Balochistan) में अज्ञात बंदूकधारियों ने गोली मार दी। उन्हें कई बार नज़दीक से गोली मारी गई और शुक्रवार को अस्पताल में उनकी मौत हो गई। मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, मुफ़्ती शाह मीर बलूचिस्तान के एक प्रमुख धार्मिक विद्वान थे, जिन पर पहले भी दो बार जानलेवा हमले हो चुके थे।
जानकारी के अनुसार, मीर कट्टरपंथी पार्टी जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (JUI) का सदस्य था, जो एक विद्वान होने की आड़ में हथियार और मानव तस्करी करता था। वह ISI के भी नज़दीक था। रिपोर्ट्स बताती हैं कि वह अक्सर पाकिस्तान में आतंकी शिविरों में जाता था और आतंकवादियों की भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ करने में मदद करता था।
उल्लेखनीय है कि मीर की पार्टी के दो अन्य सदस्यों की पिछले हफ़्ते बलूचिस्तान के तीसरे सबसे बड़े शहर खुज़दार में गोली मार कर हत्या कर दी गई थी। इधर प्रांत में घातक झड़पें हो रही हैं और कथित तौर पर राज्य बलों की ओर से कार्यकर्ताओं, पत्रकारों और राजनेताओं सहित नागरिकों को जबरन गायब किया जा रहा है। इस साल के शुरू में इस क्षेत्र में झड़पों के दौरान कम से कम 18 सुरक्षाकर्मी और 23 आतंकवादी मारे गए थे।
नौसेना से समय से पहले सेवानिवृत्ति लेने के बाद ईरान के चाबहार में व्यवसाय चलाने वाले जाधव को 2017 में एक सैन्य अदालत ने जासूसी का दोषी ठहराया था और इसके बाद पाकिस्तान में मौत की सज़ा सुनाई गई । भारत ने इस फ़ैसले की निंदा की और इस्लामाबाद पर निष्पक्ष सुनवाई न करने का आरोप लगाया।
उसके बाद सन 2019 में उनकी फांसी की सज़ा तब रोक दी गई थी, जब अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने पाकिस्तान से उनकी सज़ा की समीक्षा करने और उन्हें कांसुलर एक्सेस देने के लिए कहा गया था।
उनका 2016 में ईरान-पाकिस्तान सीमा के पास से अपहरण कर लिया गया था और पाकिस्तानी सेना को सौंप दिया गया था। वह वर्तमान में पाकिस्तानी जेल में हैं। जाधव के अपहरण में अहम भूमिका निभाने वाले जैश अल-अदल के सदस्य मुल्ला उमर ईरानी की सन 2020 में आईएसआई के गुर्गों ने कथित तौर पर गोली मार कर हत्या कर दी थी। पाकिस्तान ने 2021 में जाधव को उनकी सजा के खिलाफ अपील करने की अनुमति देने के लिए एक विधेयक पारित किया, लेकिन भारत ने कहा कि कानून में पिछले कानून की तरह ही "कमियां" हैं और यह ऐसा माहौल बनाने में "विफल" रहा है जो इस मामले में निष्पक्ष सुनवाई सुनिश्चित करेगा।
Updated on:
09 Mar 2025 05:03 pm
Published on:
09 Mar 2025 05:02 pm
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