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धरती से टकराएगा एस्टेरॉयड, ‘पीसा की मीनार’ जितना होगा विशाल

Asteroid Impact on Earth: 28 जुलाई को इटली की मशहूर झुकी हुई मीनार जितना एक विशाल एस्टेरॉयड धरती के करीब से गुज़रेगा। इसका धरती से टकराने का कोई खतरा नहीं है, लेकिन इसके आकार और गति को देखते हुए वैज्ञानिक इसे ध्यान से ट्रैक कर रहे हैं।

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भारत

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Devika Chatraj

Jul 25, 2025

धरती के करीब से गुज़रेगा एस्टेरॉयड (File Photo)

इटली की मशहूर झुकी हुई मीनार जितना एक विशाल एस्टेरॉयड 28 जुलाई को धरती के बहुत करीब से गुज़रेगा। नासा (NASA) ने बताया है कि '2025 ओडब्ल्यू' नाम का यह एस्टेरॉयड पृथ्वी से 3.93 लाख मील की दूरी से गुजरेगा, जो चंद्रमा की औसत कक्षा (2.39 लाख मील) से थोड़ा अधिक है। हालांकि इसका धरती से टकराने का कोई खतरा नहीं है, लेकिन इसके आकार और गति को देखते हुए वैज्ञानिक इसे ध्यान से ट्रैक कर रहे हैं। ऐसे 'करीबी मुकाबले' लगातार यह याद दिलाते हैं कि अंतरिक्ष की निगरानी और सटीक भविष्यवाणी हमारे ग्रह की सुरक्षा के लिए कितनी जरूरी है।

तेज रफ्तार और बड़ा आकार

यह एस्टेरॉयड लगभग 210 फीट लंबा है, यानी किसी 15 मंजिला इमारत या बड़े विमान के बराबर। यह करीब 47,000 मील प्रति घंटे की रफ्तार से यात्रा कर रहा है। इतनी रफ्तार और आकार वाला उल्कापिंड अगर कभी वायुमंडल में प्रवेश करे तो वह जमीन तक पहुंचने से पहले ही टूट सकता है, लेकिन उसके विस्फोट से खिड़कियां टूटना या हल्का-फुल्का संरचनात्मक नुकसान हो सकता है, खासतौर पर यदि वह आबादी वाले इलाके के ऊपर फटे।

अकेला नहीं है यह 'अंतरिक्ष यात्री'

दरअसल, ‘2025 ओडब्ल्यू’ उन पांच एस्टेरॉयड्स में से एक है, जो इसी सप्ताह पृथ्वी के करीब से गुजरेंगे। इनमें से दो, जिनकी लंबाई 100 से 200 फीट के बीच है, 25 जुलाई को पृथ्वी से 10 लाख मील दूर निकल जाएंगे। एक अन्य छोटा एस्टेरॉयड 27 जुलाई को हमारी कक्षा के नज़दीक आएगा, लेकिन 2025 ओडब्ल्यू इन सबमें सबसे बड़ा और सबसे करीब से गुजरने वाला अंतरिक्ष पिंड है।

नासा कर रहा लगातार निगरानी

नासा की जेट प्रोपल्शन लैबोरेटरी (जेपीएल) और उसका सेंटर फॉर नियर-अर्थ ऑब्जेक्ट स्टडीज ऐसे सभी अंतरिक्ष पिंडों की कड़ी निगरानी करते हैं। ग्राउंड-आधारित टेलीस्कोप और सौर प्रणाली रडार जैसे उपकरणों से इनकी दिशा, गति और चमक को मापा जाता है ताकि उनकी कक्षा और खतरे का सही अनुमान लगाया जा सके। एक हालिया अध्ययन ने चेताया है कि शुक्र ग्रह की स्थिति के चलते कई एस्टेरॉयड हमारी 'नजर' से छिपे रह जाते हैं। तीन ऐसे एस्टेरॉयड — 2020 एसबी, 524522, और 2020 सीएल1 की कक्षा पृथ्वी के बेहद करीब है, लेकिन सूरज की तेज रोशनी के कारण वे आसानी से नहीं दिखते।