
Free ration will be available for 5 years, PMGKAY extended Nirmala Sitharaman big announcement in the budget 2024
Budget 2024: भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीता रमण ने की ओर से पेश किए गए केंद्रीय बजट में विदेशी निवेश को महत्वपूर्ण माना गया है। भारत में विदेशी निवेश से देश को लाभ होगा और रोजगार में इजाफा होगा।
हम निवेश के नजरिये से देखें तो वित्त वर्ष 2023-24 में देश में कुल FDI प्रवाह $70.95 Bn है और कुल FDI इक्विटी प्रवाह $44.42 Bn है। मॉरीशस (25%), सिंगापुर (23%), यूएसए (9%), नीदरलैंड (7%) और जापान (6%) वित्त वर्ष 2023-24.18 जून 2024 में भारत में एफडीआई इक्विटी प्रवाह के लिए शीर्ष 5 देशों के रूप में उभरे हैं। ऐसे में विदेशी निवेश से देश को लाभ होगा।
आज भारत का बजट पेश करने के अवसर पर एक बात ध्यान देने योग्य है कि निवेशक चाहते हैं कि भारत मेंलगातार और दीर्घकालिक निवेश सुनिश्चित करने के लिए विदेशी निवेशकों को रियायती कर दरों के रूप में प्रोत्साहन देना चाहिए। आईटी अधिनियम की धारा 194LC और 194LD के प्रावधानों को पुनर्जीवित करने से विशेष रूप से देश में ऋण निवेश को बढ़ावा मिलेगा। उल्लेखनीय है कि भारत में अप्रेल, 2000 से मार्च, 2024 के दौरान कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश इक्विटी प्रवाह में चीन केवल 0.37 प्रतिशत (2.5 अरब अमेरिकी डॉलर) हिस्सेदारी के साथ 22वें स्थान पर था।
दरअसल भारत सकल घरेलू उत्पाद के हिसाब से दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और विश्व स्तर पर सबसे तेजी से बढ़ती विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। पिछले कुछ वर्षों में, इसने लगातार विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) और विदेशी प्रत्यक्ष निवेशक (एफडीआई) सहित महत्वपूर्ण विदेशी निवेश को आकर्षित किया है। सेबी की देखरेख में एफपीआई; मुख्य रूप से भारत के सूचीबद्ध बाजारों में संलग्न हैं, जबकि एफडीआई गैर-सूचीबद्ध क्षेत्रों में दीर्घकालिक निवेश के लिए पसंदीदा माध्यम बना हुआ है।
दुनिया भर में व्याप्त भू-राजनीतिक तनाव के बावजूद भारत के पूंजी बाजार ने एक मजबूत विकास पथ बनाए रखा है, जिससे एक पसंदीदा निवेश गंतव्य के रूप में इसकी अपील मजबूत हुई है। वित्त वर्ष 24 में देश में एफडीआई प्रवाह में 62% की महत्वपूर्ण गिरावट देखी गई, कुल एफडीआई आंकड़ा गिर कर 10.58 अरब डॉलर हो गया।
वैश्विक एफडीआई प्रवाह रैंकिंग में भारत का स्थान 2022 में 8वें से गिरकर 2023 में 15वें स्थान पर आ गया। भले ही 2021 की तुलना में 2022 में एफडीआई प्रवाह में 10% की गिरावट आई, फिर भी कुल निवेश $49 बिलियन के करीब था।
निर्मला सीता रमण की ओर से बजट पेश करने के दिन हम यह कह सकते हैं कि कर कानूनों में हाल के बदलावों के बावजूद, जैसे कि इक्विटी उपकरणों से दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ और निवेशकों के लिए लाभांश आय पर कर लगाना, एफपीआई और एफडीआई मार्गों के तहत निवेश ने पिछले कुछ वर्षों में लगातार अच्छा प्रदर्शन दिखाया है।
इक्विटी निवेश आम तौर पर पूंजी वृद्धि के लिए मांगा जाता है, वांछित रिटर्न तक पहुंचने पर निवेशक बाहर निकल जाते हैं। दूसरी ओर, ऋण उपकरणों में निवेश को ऋण के रूप में नियमित नकदी प्रवाह अर्जित करने के लिए किए गए दीर्घकालिक निवेश के रूप में देखा जाता है।
भारत ने ऐतिहासिक रूप से अपने ऋण निवेश पर उच्च कूपन/ब्याज दरों की पेशकश की है, जो जापान जैसे कम ब्याज दर वाले देशों के निवेशकों को आकर्षित करता है। पिछले दशक में एफपीआई मार्ग के माध्यम से ऋण निवेश का लगातार प्रवाह देखा गया।
बजट में में कर प्रावधानों का अहम रोल है।
भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीता रमण की ओर से पेश किए गए बजट में कर प्रावधानों का अहम रोल है। आम भारतीय हों या प्रवासी भारतीय अथवा विदेशी निवेशक, सभी कर प्रावधान जान कर ही निवेश करते हैं और निवेशक अपना लाभ भी चाहता है, क्यों कि आम बजट में सभी वित्तीय और ग़ैर वित्तीय परिसंपत्तियों पर होने वाले लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स (दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ) पर लगने वाले टैक्स को 10 फ़ीसदी से बढ़ा कर 12.5 फ़ीसदी कर दिया गया हैै। इसलिए निवेशकों का निवेश कर केंद्रित होता हैै।
बहरहाल भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की स्वैच्छिक प्रतिधारण मार्ग (वीआरआर) जैसी पहल ने इन निवेशों को सुव्यवस्थित किया है। हालाँकि, 2019 के बाद से ऋण निवेश में उल्लेखनीय गिरावट आई है।
Updated on:
23 Jul 2024 07:17 pm
Published on:
23 Jul 2024 01:10 pm
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