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कुकीज और कैंडीज की मिठास फीकी कर रहा जलवायु परिवर्तन, विकासशील देशों में पोषण को प्रभावित कर सकती हैं कीमतें

Climate change: अमरीकी कृषि विभाग के अनुसार उपभोक्ताओं ने 2023 में चीनी और मिठाइयों की कीमतों में 8.9 फीसदी की वृद्धि देखी हैं।

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 Climate change is dulling the sweetness of cookies and candies prices may affect nutrition in developing countries

पर्यावरणीय प्रभावों ने अब अन्य पैदावारों को भी प्रभावित करना शुरू कर दिया है। ग्लोबलवार्मिंग के कारण चीनी के दाम बढ़ने की वजह से कुकीज और कैंडीजपर भी इसका असर नजर आने लगा है। 2011के बाद से चीनी की वैश्विक लागतअपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। भारत में कम उत्पादनदर और थाईलैंड में सूखा पड़ने की वजह से उपजों को खतरा बढ़गया है। ये दोनों ही देश ब्राजील के बाद चीनी के सबसे बड़े निर्यातक हैं।

कीमतों में उच्च स्तर पर वृद्धि की आशंका

चॉकलेट,मिठाइयों और अन्य मीठे उत्पादों की कीमतों में बढ़ोतरी पहले ही शुरू हो चुकी है। अमरीकी कृषि विभाग के अनुसार उपभोक्ताओं ने 2023 में चीनी और मिठाइयों की कीमतों में 8.9 फीसदी की वृद्धि देखी हैं, जबकि इस वर्ष इसमें 5.6 प्रतिशत की वृद्धि होने की उम्मीद है। यह ऐतिहासिक औसत से काफी ऊपर है। कई चॉकलेट निर्माता कंपनियों ने चीनी और कोको की उच्च कीमतों के कारण नवंबर में चॉकलेट के महंगी होने के संकेत दिए थे।

निर्यात सीमा के कारण बढ़ रही समस्या

कोलंबिया विश्वविद्यालय के जलवायु अर्थशास्त्री गर्नोट वैगनर के अनुसार भले ही बड़ी कंपनियोंके पास कीमतों में बढ़ोतरी के अलग-अलग कारण हैं, लेकिन जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को खारिज नहीं किया जा सकताहै। चरम मौसम ने पिछले साल एवोकाडो को प्रभावित किया इसबार चीनी की बारी है। अपने स्टॉक को बनाए रखने के लिए चीनी उत्पादक देशों की ओर से एक निर्यात सीमा तय करने और ब्राजील में बंदरगाह संबंधी बाधाओं के कारण उत्पादन में मसमस्याएं बढ़ी हैं,जिससे निर्यात पर असर पड़ा है।

2023 में चीनी का उत्पादन (संयुक्तराष्ट्र का खाद्य एवं कृषि संगठन)





























देशमिलियन टन
ब्राजील37.0
भारत35.5
चीन10.4
अमरीका7.6
थाईलैंड11.0

पोषण को प्रभावित कर सकती हैं कीमतें

चीनी के उत्पादन में कमी विकासशील देशों में खासतौर से वे लोग जो अपने दैनिक कैलोरी उपभोगको बढ़ाने के लिए चीनी पर निर्भर हैं,उन पर उच्च कीमतों के प्रभाव होंगे। उप-सहारा अफ्रीका जैसे गरीब देशों केलिए चीनी एक उपयोगी कैलोरी स्रोत है। यहां उनकी खपत दर काफीकम है, लेकिन अधिक कीमतें इन देशों में पोषण पर असर डाल सकती हैं क्योंकि कई राष्ट्र भुखमरी और उच्च अल्पपोषण दर का सामना कर रहे हैं।

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