
तारिक रहमान। (Photo-IANS)
पूर्व पीएम खालिदा जिया के बेटे और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी के एक्टिंग चेयरमैन तारिक रहमान 17 साल बाद बांग्लादेश लौटे हैं। उनका गुरुवार को राजधानी के पूर्बाचल इलाके में 300 फीट रोड पर शानदार स्वागत किया गया।
वह गुरुवार को दोपहर 3:52 बजे स्वागत मंच पर आए और फिर पार्टी नेताओं व कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। उन्होंने अपना भाषण 'प्यारे बांग्लादेश' शब्दों से शुरू किया।
उन्होंने लोगों से देश में शांति और व्यवस्था बनाए रखने, किसी भी तरह की गड़बड़ी से बचने और धैर्य के साथ चुनौतियों का सामना करने की अपील की।
तारिक रहमान ने अपने पहले भाषण में कहा- हमारी प्यारी मातृभूमि 1971 में लाखों शहीदों के खून की कुर्बानी से हासिल हुई थी। माना जा रहा है कि इस बयान से उन्होंने पाकिस्तान को सीधा संकेत दिया है।
इस बीच, बांग्लादेश में पूर्व भारतीय उच्चायुक्त रीवा गांगुली दास ने कहा कि रहमान का ढाका लौटना महत्वपूर्ण है। गांगुली ने कहा कि उनके लौटने का समय बहुत अहम है क्योंकि बांग्लादेश इस वक्त अलग-अलग विचारधाराओं की वजह से बंटा हुआ है।
उन्होंने कहा- मुझे लगता है कि उनका लौटना राजनीतिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण है। वह बहुत लंबे समय से दूर थे और बेगम जिया खुद ठीक नहीं थीं, इसलिए उन्होंने पार्टी को काफी अच्छे से संभाला है।
गांगुली ने कहा-शेख हसीना की सरकार गिरने के तुरंत बाद, हमने देखा कि तारिक जिया ने पार्टी के राजनीतिक समर्थन को मजबूत किया। और भले ही वह यह सब ऑनलाइन और अलग-अलग नई टेक्नोलॉजी के जरिए कर रहे थे, फिर भी वह पार्टी को अपने साथ रखने में कामयाब रहे।
उन्होंने कहा- इस समय उनका वापस आना, जब बांग्लादेश में इतनी हिंसा हो रही है और देश सचमुच अलग-अलग विचारधाराओं के बीच बंटा हुआ है, तो उम्मीद है कि वह कुछ हद तक राजनीतिक स्थिरता वापस लाएंगे और शायद वह बांग्लादेश में मौजूद मध्यमार्गी ताकतों को एक साथ ला पाएंगे क्योंकि अब मुख्य चिंता दक्षिणपंथी ताकतों का बढ़ना और दक्षिणपंथी ताकतें क्या कर रही हैं, यह है।
उधर, पूर्व भारतीय राजदूत विद्या भूषण सोनी ने कहा कि भारत की मदद के बिना बांग्लादेश आगे नहीं बढ़ पाएगा। उन्होंने कहा- सत्ताधारी सरकार का मौजूदा मूड भारत के प्रति बहुत सकारात्मक नहीं है। वे ही लोग हैं जिन्होंने सड़कों पर लोगों को भारत के खिलाफ उठने के लिए उकसाया है।
उन्होंने कहा कि यह किसी राजनीतिक मकसद से हो सकता है। भारत की मदद के बिना वे कहीं नहीं जा पाएंगे। उनके पास बहुत सारी समस्याएं हैं, और भारत ही एकमात्र दोस्त है जो उन्हें गाइड कर रहा है। हम धैर्यवान हैं।
पूर्व भारतीय राजदूत ने कहा कि हमें लगता है कि लोगों में सद्बुद्धि आएगी। यह उनके हित में है, न कि सिर्फ भारत के, कि वे ऐसा रास्ता चुनें जो एक दोस्ताना द्विपक्षीय संबंध के लिए सकारात्मक हो। उनके लिए विकल्प बहुत सीमित हैं।
उन्होंने आगे कहा कि अगर बांग्लादेश पाकिस्तान की तरफ देखता भी है, तो भी वह देश को ज़्यादा गाइड नहीं कर पाएगा। उन्होंने कहा- वे बेशक पाकिस्तान की तरफ देख सकते हैं, लेकिन पाकिस्तान क्या कर सकता है?
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान खुद राजनीतिक ही नहीं, बल्कि आर्थिक रूप से भी मुश्किल में है। वे धार्मिक आधार पर उन्हें कुछ गाइडेंस या सपोर्ट देने के अलावा और क्या कर सकते हैं? लेकिन इससे वे ज़्यादा समय तक आगे नहीं बढ़ पाएंगे।
Updated on:
26 Dec 2025 09:10 am
Published on:
26 Dec 2025 09:08 am
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